सुषमा के स्नेहिल सृजन
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माखन चोर
माखन चोर
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प्रेम भाव ही बने सहारा .
सब ग्वालों से प्रीत तुम्हारा
माखन चोर
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छुपे कहाँ हो कृष्ण कन्हैया।
ढूँढ रही है कब से मैया।।
क्या तुमने की माखन चोरी।
और करो अब सीना जोरी?।।
माखन चोर
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दाऊ भैया संग-संग रहते।
सारा दिन चुग़ली हैं करते।।
क्या तुमने ही छुपकर खाया?।
मातु यशोदा बहुत सताया।।
माखन चोर
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वंशी धुन में धेनु चराते।
मधुर-मधुर हैं राग सुनाते।।
प्रेम भाव ही बने सहारा।
सब ग्वालों से प्रीत तुम्हारा।
माखन चोर
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”सुषमा”यह संयोग निराला।
उड़ता मन होवे मतवाला।।
प्रेम डोर जब खींचे डोरी।
दौड़ी आती राधा छोरी।
”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
लेखिका
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