सुषमा के स्नेहिल सृजन

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हिम कण

अनुप्रास अलंकारित

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मनहरण घनाक्षरी

हिम कण

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हरीतिमा तृण पर हर्षित हैं हिमकण, हल्की-सी हलचल से हिल-हिल जाते हैं।

हिम कण

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मदमस्त मधुकर मृदुल मंजरी पर, मधुरस चूस-चूस आनंद मनाते हैं।

हिम कण

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सुगंधित सुवासित ‘सुषमा’-सी सुरभित, सौंदर्य से सराबोर सृष्टि में लुभाते हैं।

हिम कण

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वंशीधर बाँसुरी बजाते बरसाने तक, बाँसुरी की धुन सुन दौड़ सभी आते हैं।

 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका 

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