जॉब - एजुकेशन
Trending

कलिंगा विश्वविद्यालय में कमल के रेशे से धागे के उत्पादन पर एक महीने के प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन

 रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के सहयोग से कमल के रेशे से धागे के उत्पादन पर केंद्रित एक महीने के प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन किया। नया रायपुर के कोटनी गांव के सामुदायिक भवन में आयोजित इस कार्य का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को कमल के धागे के उत्पादन के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना है। कमल का धागा एक अद्वितीय, हस्तनिर्मित, गैर-मशीनीकृत रेशा है, जो अंतर्राष्ट्रीय फैशन बाजार में अत्यंत लोकप्रिय हो रहा है।

ये खबर भी पढ़ें : आलिया के जीवन के ऐसे अनसुने तथ्य जो आपको चौंका देंगे – Pratidinrajdhani.in

ये खबर भी पढ़ें :   बेराेजगार डिग्रीधारियाें के लिए एम्स में निकली बंपर वैकेंसी, जानिए कब है अंतिम तिथि

उन्नत भारत अभियान, ग्रामीण विकास में परिवर्तनकारी बदलाव के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है। यूबीए के प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत समर्थित यह परियोजना ग्रामीण उत्थान और हथकरघा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के सृजन के लिए समर्पित है। कमल के रेशे से धागा बनाने में अभिनव प्रयोग, उद्योग में एक महत्वपूर्ण सफलता का प्रतिनिधित्व करता है।

ये खबर भी पढ़ें : क्या होता है मास्क्ड आधार कार्ड

कमल के धागे के उत्पादन की प्रक्रिया पूरी तरह से मानवकृत है, इसमें कोई मशीनरी शामिल नहीं है। परिणामी धागा नाजुक, हल्का और हवादार है, जो केवल 130 ग्राम धागे से लगभग 2 मीटर कपड़ा देता है। लोरो पियाना और गुच्ची जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध फैशन ब्रांड पहले से ही इस कपड़े की क्षमता को पहचान चुके हैं और इसे एक विशेष “एक्वा फैब्रिक” के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।  इस परियोजना का उद्देश्य कमल फाइबर धागे को छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख उत्पाद के रूप में स्थापित करना है, जो कमल कि खेती के लिए तालाबों और आर्द्रभूमि से समृद्ध राज्य है।

ये खबर भी पढ़ें : बांग्लादेश नहीं अब इस देश में होगा महिला टी20 वर्ल्ड कप,ICC ने नए वेन्‍यू का एलान किया

उद्घाटन समारोह में कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी, उन्नत भारत अभियान के आरसीआई समन्वयक डॉ. सुधाकर पांडे, कलिंगा विश्वविद्यालय की आईक्यूएसी निदेशक डॉ. विजयलक्ष्मी, परियोजना की मास्टर ट्रेनर और प्रमुख अन्वेषक डॉ. विनीता दीवान और कोटनी गांव के सरपंच राजेश साहू सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

ये खबर भी पढ़ें : सोनाक्षी सिन्हा बेच रही हैं अपना घर, फैंस ने पूछा इतनी जल्दी क्यों बेच रही हो?

अपने संबोधन में डॉ. संदीप गांधी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में कमल के धागे की बढ़ती मांग पर जोर दिया तथा ग्रामीणों को इस कौशल विकास अवसर में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. सुधाकर पांडे ने ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए वित्तीय स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डाला, जिन्हें यूबीए के तहत बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। गांव के सरपंच राजेश साहू ने ग्रामीणों को ग्रामीण प्रगति और इन नई परियोजनाओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया, जो ग्रामीण विकास और एक समृद्ध भारत की ओर एक पहल है।

ये खबर भी पढ़ें : स्टील कारोबारी के पुत्र का शव बरामद, जांच में जुटी पुलिस

प्रशिक्षण सत्र सकारात्मक रूप से शुरू हुआ तथा ग्रामीणों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समन्वयन कलिंगा संचालन टीम द्वारा किया गया, जिसका नेतृत्व मनीष सिंह, वीरेंद्र और क्षितिज शर्मा ने किया। अश्वन कुमार साहू, IQAC समन्वयक को कार्यक्रम के आयोजन में उनकी उपस्थिति और सहयोग के लिए विशेष धन्यवाद दिया गया।

ये खबर भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में भारत बंद का क्या रहा असर, जानने के लिए पढ़ें खबर 

Join Us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Motorola Edge 60 Fusion: दमदार फीचर्स के साथ भारत में लॉन्च “कम लागत, बड़ा मुनाफा! इस पेड़ की खेती से होगी तगड़ी कमाई हीटवेव से बचाव के ये जरूरी टिप्स जब पतियों की बेवफाई पर टूटी चुप्पी, इन एक्ट्रेसेस ने खोले राज़