सुषमा के स्नेहिल सृजन
credit - Social media
बाल साहित्य छंद
जलेबी
credit - Social media
आओ बच्चों आज खिलाऊँ। हलवाई से मैं मँगवाऊँ।। गोल जलेबी बड़ी रसीली। उलझी-उलझी है रंगीली।।
जलेबी
credit - Social media
बच्चों बूढ़ों को यह भाता। दावत में है शान बढ़ाता।। मीना-रीना तुम भी आओ। एक जलेबी खाकर जाओ।।
जलेबी
credit - Social media
देख-देख मुँह पानी आता। ’सुषमा’ का भी मन ललचाता।। मुँह मीठे की बात निराली। खाकर देखो ओ सोनाली।।
जलेबी
credit - Social media
सड़क किनारे गरम जलेबी। चलो चलें सब सखी सहेली।। खाकर आएँ खूब मिठाई। संग चलो तो है चतुराई।।
”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
लेखिका
credit - Social media
Learn more