सुषमा के स्नेहिल सृजन

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बाल साहित्य छंद

जलेबी

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आओ बच्चों आज खिलाऊँ। हलवाई से मैं मँगवाऊँ।। गोल जलेबी बड़ी रसीली। उलझी-उलझी है रंगीली।।

जलेबी

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बच्चों बूढ़ों को यह भाता। दावत में है शान बढ़ाता।। मीना-रीना तुम भी आओ। एक जलेबी खाकर जाओ।।

जलेबी

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देख-देख मुँह पानी आता। ’सुषमा’ का भी मन ललचाता।। मुँह मीठे की बात निराली। खाकर देखो ओ सोनाली।।

जलेबी

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सड़क किनारे गरम जलेबी। चलो चलें सब सखी सहेली।। खाकर आएँ खूब मिठाई। संग चलो तो है चतुराई।।

 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका 

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