”सुषमा के स्नेहिल सृजन”

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मनहरण घनाक्षरी जय माँ ब्रह्मचारिणी

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ब्रह्मचारिणी माँ की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है

जय माँ ब्रह्मचारिणी

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ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली

जय माँ ब्रह्मचारिणी

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द्वितीय माँ ब्रह्मचारिणी कमंडल धारिणी, शुभाशीष पाने द्वार रंगोली सजाइए।

जय माँ ब्रह्मचारिणी

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कलश दीपक जले जगमग मैया करे, स्वागत सत्कार में है तोरण लगाइए।

जय माँ ब्रह्मचारिणी

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अष्टगंध लिए थाल सुगंधित पुष्प माल, भोग प्रिय चीनी मिश्री माता को रिझाइए।

जय माँ ब्रह्मचारिणी

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‘सुषमा’ भजन गान नित-नित  करो ध्यान, भक्ति भाव प्रेम युक्त हार पहनाइए।

जय माँ ब्रह्मचारिणी

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 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका