सुषमा के स्नेहिल सृजन

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बाल साहित्य

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बचपन के रंग

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कागज की मैं नाव बनाऊँ। उसको पानी में तैराऊँ।। आना मौसी बैठ नाव में। साथ चलूँ मैं आज गाँव में।।

बचपन के रंग

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कभी पहाड़ी चढ़ना सीखूँ। कभी कहानी गढ़ना सीखूँ।। रंगों से मैं चित्र सजाऊँ। फूलों की बगिया महकाऊँ।।

बचपन के रंग

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खेतों का भी सैर करूँगा। अपना झोला खूब भरूँगा।। हरा मटर का स्वाद निराला। मीठा-मीठा दाना वाला।।

बचपन के रंग

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हरा चना सबको है भाता। ’सुषमा’ थाली खूब सजाता।। देख-देख मुँह पानी आता। झटपट खाने को ललचाता।।

 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका 

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