सुषमा के स्नेहिल सृजन
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झिलमिल झील
मनहरण घनाक्षरी
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झिलमिल झील
झिलमिल झील
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झिलमिल-झिलमिल,नील झील जलधि में,
झर-झर झरकर,
झरने कहाते हैं।
झिलमिल झील
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कन्हैया के कर वंशी, अधर में सजते ही,
कोयल की कुहुक में,
राग सज जाते हैं।
झिलमिल झील
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छलकत छलछल, उछल-उछल कर,
छत से पहाड़ियों के,
मिलने को आते हैं।
झिलमिल झील
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पाँव धर पनघट, राधे संग झटपट,
गगरी में नीर भर,
अति सुख पाते हैं।
”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
लेखिका
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