सुषमा के स्नेहिल सृजन
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प्रेम प्रीत
प्रेम प्रीत
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सुषमा सुमन खिले,
जग महकाने को
प्रेम प्रीत
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राग की लहर चले, मलय समीर संग,
मन की वीणा भी बजे,
मधु गीत गाने को।
प्रेम प्रीत
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प्रकृति का कण-कण, झूमे नाचे प्रतिक्षण,
‘सुषमा’ सुमन खिले,
जग महकाने को।
प्रेम प्रीत
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भंवरों की गुनगुन, कलियों से प्रीत चुन,
झरनों के सुर मिलें,
मन हरसाने को।
प्रेम प्रीत
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स्नेह सुधा रस धार, प्रेम बना है आधार,
संगीत भी धुन छेड़े,
हृदय मिलाने को।
”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
लेखिका
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