सुषमा के स्नेहिल सृजन
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शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
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आश्विन तिथि नभ से झरे, सुधा बूँद रस धार। शरद पूर्णिमा में मिले, ईश नाम सुख सार।।
शरद पूर्णिमा
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बिखरी जगमग चाँदनी, रजनी लगे प्रभात। रजत कटोरा खीर रख, अमिय झरे शुभ रात।।
शरद पूर्णिमा
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मोहक मादक चाँदनी, निर्मल पावन नीर। मान सरोवर दृश्य है, हरे हृदय के पीर।।
शरद पूर्णिमा
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नम्र शीत आरंभ अब, सूचक देता मास। शुभ्र धवल शुभ यामिनी, पूनम भरे उजास।।
शरद पूर्णिमा
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वृत्त बनाकर गोपियाँ, घेरे रहते श्याम। महारास लीला रचें, वृंदावन शुभ धाम।।
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’सुषमा’ सुख की कामना, हिय में भरे उमंग। नर्तन करती गोपियाँ, मनमोहन के संग।।
”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
लेखिका
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