सुषमा के स्नेहिल सृजन

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सुग्घर गोठ

सुग्घर गोठ

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बोल के तपतकुरु, राम..राम गाथे जी

सुग्घर गोठ

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पोखर म फूले हावे, पुराईन फूल संगी, बरछा के तीरे-तीर,

सुग्घर गोठ

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नरवा बोहाथे जी।* बैठे सुआ हरियर, मुनगा के डार संगी, बोल के तपतकुरु

सुग्घर गोठ

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राम-राम गाथे जी।* चोंच हावे लाली-लाली, मिठ्ठू-मिठ्ठू बोले संगी, मजा ले के मिरचा ल,

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राम-राम गाथे जी।* चोंच हावे लाली-लाली, मिठ्ठू-मिठ्ठू बोले संगी, मजा ले के मिरचा ल,

सुग्घर गोठ

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कुतर के खाथे जी।* मया के सुघ्घर गोठ, दुनों गोठियाबो संगी, हाँसी-खुशी हमरो ये, दिन बीत जाथे जी।

 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका 

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 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

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