सुषमा के स्नेहिल सृजन

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दीपोत्सव

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मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊंगी

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शुभाशीष पाने को माता, चौकी लाल सजाऊँगी।* मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊँगी।।

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आसन माँ का खूब सजाऊँ, माँ कमला है वरदानी। आवाहन सुन आओ मैया, स्वीकारो हे कल्याणी।। चंदन रोली हल्दी कुमकुम, टीका भाल लगाऊँगी। मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊँगी।।

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सुख वैभव सौभाग्य दायिनी, कमल पुष्प तुमको भाती। पावन है माँ नाम तुम्हारा, धन की देवी कहलाती।। *दीप प्रज्वलित करके मैया, माँ को सदा रिझाऊँगी। मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊँगी।।

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तेरी ममता की छाया में, जीवन सुखद बिताएँ माँ। सुख-समृद्धि से भर दो अंचल, हर आँगन मुस्काएँ माँ।। खीर बताशे पंचामृत माँ, अर्पण मैं कर जाऊँगी। मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊँगी।।

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शुभ्र ज्योत्सना भर दो मैया, मंगल कलश सजाए हैं। दीप जलाकर घर-घर मैया, बैठे आस लगाए हैं।। मनोकामना पूर्ण करो माँ, श्रद्धा शीश झुकाऊँगी। मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊँगी।।

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अष्टरूपिणी देवी लक्ष्मी, झोली सबकी भर देना। ’सुषमा’ सुख संसार सजे माँ, दुख सारे ही हर लेना।। मुख महिमा गुणगान करूँ माँ, मधुर भजन मैं गाऊँगी। मिट्टी का शुभ दीपक लेकर, जगमग ज्योत जलाऊँगी।।

 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका 

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