सुषमा के स्नेहिल सृजन
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ज्योति पर्व
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कार्तिक की है पूर्णिमा, आज नहाओ घाट। दीपदान का पर्व है, निश्छल खुशियाँ बाँट।।
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पावन भावन पूर्णिमा, आओ गंगा घाट। गंगा जी के घाट पर, मेला लगा विराट।।
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झिलमिल ‘सुषमा’ दृश्य में, दीपों का उत्साह। जगमग जलते दीप जब, आलोकित हर राह।।
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संयम व्रत शुभ साधना, सबका है आह्वान। चौरा दीप सजाइए, सनातनी पहचान।।
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स्नेह भक्ति अरु प्रेम से, दीपक जलें हजार। ज्योति पर्व शुभ मास में, जगमग है संसार।।
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जल में तैरे दीप जब, धवल शुभ्र तब धार। ’सुषमा’-सा अनुभव करे, मन पुलकित हर बार।।
”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
लेखिका
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