सुषमा के स्नेहिल सृजन

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रानी अहिल्याबाई

 रानी अहिल्याबाई

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अमर कहानी एक है, सुनो अहिल्या नाम। दया धरम की मूरती, करती सुंदर काम।।

 रानी अहिल्याबाई

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जन्मीं चौड़ी ग्राम में, माने शिव को इष्ट। चरवाहे के घर पली, मिली प्रसिद्धि अभीष्ट।।

 रानी अहिल्याबाई

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बचपन से ही खो गया, जीवन का सुख सार। धर्म समर्पण भाव था, नीति बनी आधार।।

 रानी अहिल्याबाई

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राजकोष की रक्षिणी, दिखलाती थी जोश। ’सुषमा’ सत्ता देखती, कभी न खोती होश।।

 रानी अहिल्याबाई

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होल्कर वंश प्रखर हुआ, श्रेष्ठ बना इंदौर। केंद्र बना व्यापार का, यमुना तट था ठौर।।

 रानी अहिल्याबाई

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रानी थीं वीरांगना, कभी न मानी हार। दूर-दूर तक तरु लगे, सड़कें छायादार।।

 रानी अहिल्याबाई

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रानी ने हरदम किया, नारी का सम्मान। जग से मिटे कुरीतियाँ, रखती इसका ध्यान।।

 रानी अहिल्याबाई

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मालववंशी शासिका, सुन्दर शासन काल। सती प्रथा तब देश में, फैला था विकराल।।

 रानी अहिल्याबाई

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राजकोष निधि से सदा, बनवाती तालाब। मंदिर भवनें बावड़ी, उपवन खिले गुलाब।।

 रानी अहिल्याबाई

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जिम्मेदारी थी बड़ी, मार्ग नहीं आसान। सेना का नेतृत्व कर, रखी देश का मान।।

 ”सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)

लेखिका 

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