गंगा नदी में कीड़े न पड़ने कारण जानकर हो जाएंगे हेरान

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गंगा नदी वाकई सबसे अलग माना जाता है, यह तो जगजाहिर है। गंगा नदी का पानी इतना शुद्ध है कि इसमें मिलते ही दूसरे बैक्टीरिया मर जाते हैं!

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इसका पानी बिना खराब हुए लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है जो इसे अन्य नदियों से अलग बनाता है!

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हिंदुओं का मानना है कि यह देवी गंगा का वास्तविक शरीर है, जो आत्माओं को शुद्ध करने और उन्हें संसार, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।

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लेकिन धार्मिक मान्यताओं से इतर आइए जानते हैं कि आखिर वे कौन से वैज्ञानिक कारण हैं जिनकी वजह से गंगा नदी का पवित्र जल खराब नहीं होता। 

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ऑक्सीजन की मात्रा - गंगा में ऑक्सीजन का स्तर अन्य नदियों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है और इसमें बैक्टीरिया से लड़ने की विशेष क्षमता होती है!

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अक्तेरिओफगेस(Bacteriophages) - गंगा नदी के पानी में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को खाते हैं और बैक्टीरिया को बढ़ने नहीं देते।

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बैक्टीरियोफेज एक वायरस है जो जीवाणु को संक्रमित करता है, जीवाणु के भीतर अपनी प्रतिकृति बनाता है और उसे नष्ट कर देता है।

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वैज्ञानिक जगत हमेशा से ही गंगा के पानी के एंटीसेप्टिक गुणों से चकित रहा है।

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