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छत्तीसगढ़

बस्तर के कोने कोने में धर्मांतरण को रोकेंगे: पं धीरेंद्र शास्त्री

25 जनवरी को सुबह 11 बजे से लगेगा बागेश्वर धाम सरकार दिव्य दरबार

रायपुर। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज पूज्यश्री बागेश्वर धाम सरकार ने विवेकानंद विद्यापीठ के सामने कोटा स्थित विशाल प्रांगण में कहा कि कल पता है क्या हुआ रामजी आ गए। आज आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती है। इसी छत्तीसगढ़ के प्रांगण में आज ही के दिन हमने पिछले वर्ष गुढिय़ारी वाले हनुमान मंदिर के प्रांगण में यह घोषणा की थी, तुम मेरा साथ दो-मैं तुम्हें हिन्दू राष्ट्र दूंगा। उस वक्त बहुत विरोध किया गया हमारा, तरह-तरह की यातनाएं दी गई, षड्यंत्र किए गए। लेकिन हम डिगे नहीं। साल बदला छत्तीसगढ़ का हाल बदला, और जो हमारा विरोध कर रहे थे, उनकी ठठरी बंध गई। अब चिंता मत करो, हम छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में राम कथा करेंगे। अब हम बस्तर के कोने-कोने में रामकथा करके धर्मांतरण नहीं होने देंगे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, हिंदू सम्राट टीएस राजा, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, दीनानाथ शर्मा उपस्थित थे। गुरुवार 25 जनवरी को सुबह 11 बजे से कथा पंडाल में एक दिवसीय दिव्य दरबार लगाया जाएगा जिसमें सभी दैहिक, दैविक, भौतिक आदि सभी समस्याओं का समाधान बागेश्वर धाम सरकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि 23 जनवरी की यह तारीख हमें याद रहेगी, इसी 23 तारीख को छत्तीसगढ़ के मंच से हमने प्रण लिया था, कि अब हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे तब तक विरोधियों के मुंह पर तमाचा नहीं मार देंगे। ये तो त्रेता युग आया है, द्वापर युग भी आने वाला है। रामजी अयोध्या में आ गए, अब हम मथुरा जाएंगे। हम नहीं कर रहे हैं, हनुमानजी करा रहे हैं, युग बदल रहा है। जय जोहार… जय छत्तीसगढ़ महतारी… कहकर अभिवादन करते उन्होंने कहा- छत्तीसगढ़ के प्रियजनों ये हमारा ननिहाल है और हम अपने मामा के घर आए हैं। अब जब अयोध्या में रामजी आए हैं तो अब हम यहां पांच दिन तक जन्म से जनकपुर तक की कथा सुनाएंगे। भये प्रगट कृपाल दीनदयाला कौशल्या हितकारी, हर्षित महतारी मुनि मन हारी…। रामजी अयोध्या में प्रगट भये… कल ऐसा लग रहा था। कोई ऐसा विरला नहीं होगा जिसकी आंखों में खुशी के आंसू नहीं होंगे। राम आ गए, पांच सौ सालों का इंतजार पूरा हो गया, धर्म की जीत हो गई और राम को काल्पनिक बताने वाले छुप गए। राम राज का सवेरा भारतवर्ष के इतिहास में 23 तारीख को हो गया। रामजी का बाल्यकाल भी हम आपको सुनाएंगे, क्योंकि यह माता कौशल्या का गांव है। रामायण हमें जीना सिखाती है। महाराजजी ने कहा- हम आ गए, हम यहां बागेश्वर धाम से नहीं आए, अयोध्या से आए हैं जहां कल रामजी बैठ गए, विरोधियों की ठठरी बंध गई। इसीलिए पागलों एक बात याद रखना- वीरों की दहाड़ होगी, अब हिंदुओं की ललकार होगी। आ गया फिर से लौटकर अपने हनुमान का भक्त जब कट्टर रामभक्तों की पूरी दुनिया में भरमार होगी।

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