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UPI पेमेंट में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन की सुविधा, कैसे है हमारे लिए फायदेमंद

नई दिल्ली। डिजिटलाइजेशन के चलते कुछ ही सालों में ऑनलाइन पेमेंट में तेजी से वृद्धि हुई है। ऐसे में यूजर्स के अकाउंट और फाइनेंशियल डिटेल की सुरक्षा जरूरी है। ऐसे में इन खतरों से निपटने और UPI ट्रांजैक्शन को सिक्योर करने के लिए आप बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का उपयोग कर सकते हैं।

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इसके फायदों के बारे में जानने से पहले आपको इसके बारे में भी विस्तार से जानना चाहिए। यहां हम आपके दिमाग में आने वाले हर जरूरी सवाल का जवाब देंगे।

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क्या है बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन ?

  • बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन आपके अकाउंट में सिक्योरिटी की एक और परत जोड़ता है।
  • इसमें यूजर के यूनिक फिजिकल और बिहेवियर पैटर्न के आधार पर वेरिफिकेशन किया जाता है।
  • इसमें फिंगरप्रिंट, आईरिस पैटर्न, फेस रिकॉग्निशन, वॉयस रिकॉग्निशन और यहां तक की टाइपिंग स्पीड जैसे बिहेवियर पैटर्न भी शामिल हो सकते हैं।
  • यानी कि ये सुविधा पासवर्ड और पिन के अलावा विशेष और बेहतर सुरक्षा देता है।

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UPI में क्यों जरूरी है बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन?

  • UPI ट्राजैक्शन एडवांस की सुरक्षा के लिए पासवर्ड और पिन जैसे पुराने तरीकों के करण यूजर्स को हैकिंग और फिशिंग हमलों का सामना करना पड़ता है।
  • ऐसे में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिक्योर ऑप्शन हो सकता है, जो आपकी सिक्योरिटी में एक और परत जोड़ता है और धोखाधड़ी और अनचाहे एक्सेस का जोखिम को भी काफी कम कर सकता है।

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क्या है बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के फायदे?

  • बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से आपका अकाउंट ज्यादा सिक्योर रहता है, क्योंकि हर व्यक्ति के लिए बायोमेट्रिक डेटा यूनिक होता है।
  • पासवर्ड की तरह इसे हैक या चुराया नहीं जा सकता है, जिससे स्कैमर्स इसको एक्सेस नहीं कर सकेंगे।
  • बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से पासवर्ड या पिन को याद रखने और दर्ज करने जरूरत खत्म हो जाएगी ।
  • यूजर अपने बायोमेट्रिक डेटा, जैसे कि फिंगरप्रिंट या चेहरे के स्कैन का उपयोग करके जल्दी से इसे वेरिफाई कर सकेंगे।
  • इससे लॉगिन प्रक्रिया और आसान हो जाएगी और अलग-अलग अकाउंट के लिए अलग-अलग पासवर्ड को मैनेज और याद करने की समस्या दूर हो जाएगी।
  • इससे लोगों का डिजिटल ट्रांजैक्शन के प्रति भरोसा बढ़ेगा और ज्यादा लोग इस सुविधा से जुड़ेंगे।
  • बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से धोखाधड़ी और पहचान की चोरी जैसे जोखिम को भी कम किया जा सकता है। इसका कारण है कि स्कैमर्स यूजर की फेक आईडी का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

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