गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में कान्यकुब्ज समाज की महिला रचनाकार भी सम्मानित
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में कान्यकुब्ज समाज की महिला रचनाकार भी सम्मानित
रायपुर। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान, छत्तीसगढ़ द्वारा रायपुर के वृन्दावन हाल में 23 जून को आयोजित कार्यक्रम मे ‘चंद्रयान तीन विश्व कीर्तिमान ग्रंथ‘ का विमोचन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। ‘चंद्रयान तीन विश्व कीर्तिमान ग्रंथ‘ भारतीय चंद्र मिशन पर पहली काव्य पुस्तक है। जिसे गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त हुआ है । इस 150 पृष्ठ के ग्रंथ को संपादिका डॉ. आशा आजाद ‘कृति‘ मानिकपुर कोरबा एवं श्रीमती उर्मिला देवी ‘उर्मि‘ रायपुर, छत्तीसगढ़ के सहयोग से तैयार किया गया है। यह काव्य साझा संकलन भारत देश को समर्पित है, इसरो को भी समर्पित है। इसे मूर्त रूप देने में विश्व स्तर के 123 साहित्यकारों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज की रचनाकार शुभा शुक्ला निशा, श्रद्धा पाठक, चंद्रप्रभा दुबे, शिवा बाजपेई ,श्रीमती ममता त्रिवेदी, एवं डॉ सीमा अवस्थी “मिनी” आदि महिला रचनाकारों की रचनाएं भी शामिल हैं। आप सभी ने “चंद्रयान थ्री विश्व कीर्तिमान “पुस्तक में अपनी सहभागिता निभा कर कान्यकुब्ज समाज का नाम रौशन किया है इसके लिए उन्हें उत्कृष्ट साहित्य सेवी अलंकरण,छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान,से सम्मानित किया गया है।
विश्व कीर्तिमान ग्रंथ देश की उपलब्धियों को समर्पित इस पुस्तक में उत्कृष्ट काव्य संकलन के कारण गोल्डन बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड, राज्यस्तरीय सम्मान (छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग) विश्व कीर्तिमान ग्रंथ, गोल्डन बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान और वैदिक प्रकाशन द्वारा भी सम्मानित किया गया।
‘चंद्रयान तीन विश्व कीर्तिमान‘ एक विश्वस्तरीय विशाल काव्यमयी साझा संकलन है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं वरन देश-विदेश से भी इस विषय विशेष पर अपनी रचनाओं के माध्यम से ‘चंद्रयान तीन विश्व कीर्तिमान‘ काव्य संकलन को अलंकृत किया है। इसमें विश्वस्तर के 123 साहित्यकार सम्मिलित है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के 100 साहित्यकार एवं भारत के विभिन्न राज्यों से 21, आस्ट्रेलिया से 01 एवं अमेरिका से 01 साहित्यकार ने अपना काव्य सृजन कर विश्व कीर्तिमान में विशेष योगदान दिया है। यह विशाल काव्यमयी साझा संकलन भारत की उपलब्धि पर भिन्न-भिन्न अभिव्यक्तियों पर आधारित है। उपरोक्त जानकारी कान्यकुब्ज साहित्य परिषद के संयोजक पं. अजय अवस्थी ‘किरण’ एवं सीए सौरव शुक्ल द्वारा प्रदान की गई ।