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वह कम बोलते थे, उनका काम बोलता था

भारत में आर्थिक सुधारों के नायक मनमोहन सिंह नहीं रहे। वह लंबे समय से अस्वस्थ थे, उनका निधन गुरुवार 26 दिसंबर को हो गया।वह साधारण परिवार से थे और वह देश के पीएम बने। वह अराजनीतिक थे लेकिन राजनीति के शिखर पर पहुंचे और अपने काम से देश और देश के लोगों लिए जो भी बेहतर कर सकते थे, किया।वह कम बोलते थे लेकिन उनका काम ज्यादा बोलता था। उनको जो कुछ कहना रहता था, अपने काम के जरिए कहते थे। लोगों ने उनसे कई सवाल किए, हर सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह अक्सर मौन रहे लेकिन उनका काम उनके आलोचकों व विरोधियों को जवाब देता रहा।

कहा जाता है कि कुछ लोग देश की बेहतरी के लिये काम करने के लिए बने होते हैं, उनकी भूमिका तय होती है।मनमोहन सिंह देश के ऐसे ही नेता थे।जब देश को उनकी जरूरत पड़ी तो वह हर पद पर रहते हुए देश की बेहतरी के लिए काम किया।जब देश के उनके भीतर के अर्थशास्त्री की जरूरत पड़ी तो उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाई। देश को जिन सुधारों की जरूरत थी, वह सब सुधार मनमोहन सिंह ने किए। उनके किए आर्थिक सुधारों के कारण ही देश आर्थिक रूप से मजबूत हो सका और दुनिया के देशों के बीच अपने जगह बना सका।

पीएम मोदी ने उनके बारे में सही कहा है कि वह देश से सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक थे।साधारण परिवार से होने के बाद भी वह देश के महान अर्थशास्त्री बने उसके बाद पीएम के रूप में भी देश व देश के लोगों की सेवा की।उन्होंने देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए। जो भी नेता देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करता है,देश की जनता उसको याद रखती है। क्योंकि उसके जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास से जनता का जीवन बेहतर होता है, और इसका एहसास देश के लोगों को अपने जीवन में अनुभव भी होता है।

यह भी अजब संयोग है कि मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर1932 को पं.पंजाब के गाह में हुआ था,जो आज पाक में है, जिस तारीख को उनका जन्म हुआ उसी तारीख को वह असीम की यात्रा पर निकल गए।भारत विभाजन में उनका परिवार भारत आ गया।1954 में वे पंजाब विवि से अर्थशास्त्र की डिग्री पूरी की।1957 में कैंब्रिज विवि से इकोनामिक ट्रिपोज किया,1962 में आक्सफोर्ड विवि से डी,फिल की उपाधि मिली,1971 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने, 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने।19980 से 82 तक योजना आयोग के सदस्य रहे।82 से 85 तक आरबीआई के गवर्नर रहे।85 से 87 योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे।

87-90 जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव रहे,1990 में आर्थिक मामलो में प्रधानमंत्री के सलाहकार बने,1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बनाए गए,1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए,1991 से 96 नरसिम्हा सरकार में वित्त मंत्री रहे,2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने एक बार 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था और हार गए थे।मनमोहन सिंह देश के पहले ऐसे पीएम थे,जिनकी कोई सघन राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी।

मनमोहन को देश के परिदृश्य में सामने लाने का श्रेय नरसिम्हा राव व सोनिया गांधी को जाता है।2004 के आम चुनाव के बाद जब सोनिया गांधी ने पीएम पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया तो उनके सामने एक ऐसे नेता तो यह पद सौंपने की चुनौती थी, जो न केवल इस पद के योग्य हो और गांधी परिवार के वर्चस्व के लिए खतरा भी न हो।इस पद के लिए कई दावेदार थे कांग्रेस में लेकिन सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह पर भरोसा किया और मनमोहन सिंह जब तक पीएम रहे वह इस कसौटी पर खरे उतरे।

इसी वजह से उन्हें भारतीय राजनीति के इतिहास में एक्सीडेंटल पीएम भी कहा जाता है।वह पीएम बनना नहीं चाहते थे लेकिन कांग्रेस व देश की जरूरत के लिए उनको यह पद स्वीकार करना पड़ा और दस साल उन्होंने ऐसे काम किए जिससे यह साबित हुआ कि वह इस पद के सर्वथा योग्य थे।उऩके प्रमुख कामों का याद किया जाता है तो शिक्षा का अधिकार,सूचना का अधिकार,रोजगार गारंटी योजना,पहचान के लिए आधार कार्ड,अमरीका से न्यूक्लियर डील,भूमि अधिग्रहण कानून,राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को याद किया जाता है। इससे देश के लोगों का जीवन बेहतर हुआ था।

उनके कार्यकाल में महंगाई,टूजी, कोयला घोटाला सामने आई थी,इसके चलते उकी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।इन घोटालों के कारण ही 2014 के चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। सिख दंगों के लिए कांग्रेस ने माफी न मांगी लेकिन मनमोहन सिंह ने 12 अगस्त 2005को लोकसभा में माफी मांगी थी।उन्होंने कहा था कि देश में उस समय जो कुछ हुआ था उसके लिए मैं शर्म से सिर झुकाता हूं। मनमोहन सिंह अपनी विनम्रता,सादगी व कम बोलने के लिए देश ही नही देश के बाहर भी जाने जाते थे। कई लोग उनके कम बोलने को उनकी कमजोरी कहते थे लेकिन यह उनकी आदत थी जिसके बार में वह कहते थे कि हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।

मनमोहन सिंह को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान मिले थे।उनको 1987 में पद्म विभूषण,1995 व 96 में सेंट जांस कालेज कैंब्रिज से विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार व एडम स्मिथ पुरस्कार,2002 में उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार,2010 में सऊदी अरब का दूसरा सर्वोच्च सम्मान आर्डर आफ किंग अब्दुल अजीज,2014 में जापान का दूसरा बड़ा नागरिक सम्मान आर्डर आफ द पालाउनिया फ्लावर्स, फोब्र्स पत्रिका के अनुसार मनमोहन सिंह को विश्व के 19 शक्तिशाली व्यक्ति चुना गया था।मनमोहन सिंह ने देश और देश के लोगों के लिए जो कुछ किया उससे देश व देश के लोगों को फायदा हुआ। उनके योगदान को देश व देश के लोग हमेशा याद रखेंगे।

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