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भौगोलिक सीमाओं से पार हिंदी को मिली वैश्विक पहचान, इसने समावेशिता को दिया बढ़ावा : यूएन राजदूत

 न्यूयॉर्क । संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। यूएन मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम में उसके वैश्विक संचार विभाग (डीजीसी) के निदेशक इयान फिलिप्स ने कहा है कि हिंदी ने भौगोलिक सीमाओं को पार करते हुए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि यह एक व्यापक रूप से प्रशंसित भाषा बन गई है जो समावेशिता को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया भर में लोगों को जोड़ने और सशक्त बनाने के लिए इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा हिंदी दिवस मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम में भारतीय सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ। इस प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष सांसद बीरेंद्र प्रसाद बैश्य ने इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों में हिंदी की लोकप्रियता पर चर्चा की।

इस दौरान, संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग (डीजीसी) के निदेशक इयान फिलिप्स ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘नमस्कार दोस्तों’ के साथ की। आगे उन्होंने कहा कि हिंदी की वैश्विक पहुंच को प्रभावशाली बताते हुए कहा कि दुनिया भर में 600 मिलियन से अधिक लोग यह भाषा बोलते हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी और मंदारिन के बाद यह दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि हिंदी पहली बार 1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोली गयी थी। फिलिप्स ने आगे कहा कि ऐसी दुनिया में जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता जोर पकड़ रही है, भारत को एक प्रमुख भूमिका के साथ उभर कर आया है। साथ ही हिंदी भाषा लाखों लोगों के साथ संवाद करने का एक प्रमुख जरिया बन गई है।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र में नेपाल के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत लोक बहादुर थापा ने कहा कि हिंदी ने भारत और नेपाल के बीच लोगों से लोगों के संबंधों, जुड़ाव और संबंधों को और अधिक विस्तारित और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा ने हमारे लोगों के बीच आर्थिक अवसरों और गतिशीलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके व्यापक उपयोग ने व्यापार, पर्यटन और सीमा पार व्यापार उद्यमों को सुविधाजनक बनाया है। थापा ने आगे कहा कि हिंदी ने सहज बातचीत और सहयोग को सक्षम बनाया है, जिससे क्षेत्र और उसके बाहर आर्थिक विकास और सामाजिक एकजुटता में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।

उन्होंने कहा कि हिंदी ने क्षेत्र और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक विकास और सामुदायिक जुड़ाव सहित कई क्षेत्रों में आवश्यक भूमिका निभाई है। वहीं संयुक्त राष्ट्र में मॉरीशस के स्थायी प्रतिनिधि जगदीश धरमचंद कुन्जुल ने कहा कि यह भाषा 19वीं शताब्दी में गिरमिटिया मजदूरों के साथ मॉरीशस पहुंची थी। कई चुनौतियों के बावजूद, अब वहां हिंदी खूब फली-फूली और न केवल संचार का साधन बन गई, बल्कि परंपराओं, आध्यात्मिकता और उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने का एक पुल बन गई।

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