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भारत की वैश्विक महाशक्ति बनने की यात्रा में रेलवे की भूमिका


डॉ. विपिन कुमार

भारत 2047 तक वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके लिए रेल व्यवस्था का नवीनीकरण अत्यंत आवश्यक है। भारतीय रेलवे देश की जीवन रेखा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे कार्यक्रमों का इस क्षेत्र पर गहरा असर पड़ा है। भारतीय रेलवे दुनिया की प्रमुख रेल प्रणालियों में से एक है और पिछले एक दशक में सरकार ने इसके मूलभूत ढांचे के विकास, आधुनिकीकरण और परिचालन दक्षता में सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इसके परिणामस्वरूप, रेलवे ने एक नई दिशा प्राप्त की है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए रेलवे को 2,62,200 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय आवंटित किया गया है, जो एक नया रिकॉर्ड है।

2013-14 में रेल बजट केवल 63,363 करोड़ रुपये था। 2014 से 2024 के बीच, सरकार ने 31,180 किलोमीटर से अधिक रेल ट्रैक चालू किए हैं और ट्रैक बिछाने की गति 14.54 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई है, जो 2014-15 में केवल 4 किलोमीटर प्रतिदिन थी। इसी अवधि में 41,655 रूट किलोमीटर विद्युतीकरण भी किया गया है, जो कि 2014 के मुकाबले लगभग दोगुना है। आज, वंदेभारत, अमृत भारत और नमो भारत जैसी कई आधुनिक ट्रेनों का संचालन हो रहा है, जो यात्रियों के जीवन में सुगमता ला रही हैं। 2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लॉन्च की गई वंदेभारत एक्सप्रेस, आधुनिक और आरामदायक रेल यात्रा का प्रतीक बन गई है। वर्तमान में देश में 102 वंदे भारत ट्रेनों का संचालन हो रहा है, जिनकी ऑक्यूपेंसी रेट 96.62% है। वंदेभारत ट्रेनों की अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो न केवल यात्रियों को बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान कर रही है। हाल ही में, गुजरात में अहमदाबाद और भुज के बीच पहला ‘वंदेभारत मेट्रो’ शुरू हुआ, जो शहरी यातायात समस्या का समाधान है। इसके अलावा, जल्द ही वंदेभारत स्लीपर ट्रेनों का भी परिचालन शुरू होगा।

रेलवे केवल यात्री सुविधा नहीं बल्कि भारत की कृषि और औद्योगिक प्रगति का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसी दिशा में, भारत सरकार ने ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ का शुभारंभ किया है, जिसके अंतर्गत 553 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का कार्य चल रहा है। यह पहल यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। ‘पीएम गति शक्ति मिशन’ के अंतर्गत, ऊर्जा, खनिज और सीमेंट जैसे तीन आर्थिक रेलवे गलियारों की पहचान की गई है, जो लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक होगी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2014 में शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत रेलवे ने ‘स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत’ अभियान भी चलाया है, जिससे स्टेशनों पर सफाई और सुविधाओं में सुधार हो रहा है।

रेलवे द्वारा डिजिटलीकरण, स्वच्छता, समावेशिता और शिकायत निवारण को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष विशेष अभियान चलाए जाते हैं। इस वर्ष, 31 अक्टूबर, 2024 तक 50,000 स्वच्छता अभियान आयोजित करने का लक्ष्य है, जो पिछले वर्ष के लक्ष्य से लगभग दोगुना है। भारतीय रेलवे ने सुरक्षा और सुगमता बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे ‘कवच प्रणाली’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’, जिसके परिणामस्वरूप रेल हादसों में कमी आई है।

भारतीय रेलवे ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ और ‘विकसित भारत’ के संकल्पों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हमें इस गति को बनाए रखना चाहिए, ताकि रेलवे हर वर्ग के लिए सुखद यात्रा की गारंटी बन सके। मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपने उत्साह और जुनून से इस लक्ष्य को जल्द ही हासिल कर लेंगे।

(लेखक, विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)

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