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हर्बल उत्पादों महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर, 13 उत्पादों को बाजार में मिली नई पहचान

केशोडार पीवीटीजी वन धन विकास केंद्र से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आ रहा सकारात्मक बदलाव

रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य में वन विभाग द्वारा स्थापित वन धन विकास केन्द्र में आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही है। इस संस्था से जुड़कर वनांचल के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। आधुनिक ब्रांडिंग और विशेषज्ञों के प्रशिक्षण से इन उत्पादों को बाजार में नई पहचान मिली है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में वन धन विकास केंद्र केशोड़ार की महिलाओं ने लगभग 82 लाख 50 हजार रूपए की हर्बल उत्पादों का विक्रय किया, जिसमें केन्द्र को 15 लाख रूपए की शुद्ध आय हुई है। यह पीवीटीजी वनधन विकास केंद्र की महिलाओं को स्थायी आजीविका प्रदान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।

गरियाबंद जिले के केशोड़ार गांव में स्थित पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह की महिलाएं) वन-धन विकास केंद्र से परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक की सहायता से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आया है। सभी महिलाएं आर्थिक रूप से सम्पन्न हो रही हैं। प्रधानमंत्री जनमन योजनांतर्गत स्थापित यह केंद्र भुतेश्वर नाथ हर्बल एण्ड मेडिसिन स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित की जा रही है।

इस केंद्र से 87 पीवीटीजी लाभार्थी महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो 8 स्व-सहायता समूहों के माध्यम से कार्य कर रही हैं। इन केन्द्रों में महिलाओं के समूह द्वारा हर्बल औषधियों का उत्पादन किया जा रहा है। आयुष निर्देशालय (आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी) से अनुमोदित 13 हर्बल उत्पाद बनाई जा रही है, जिनमें महाविपगर्भ तेल, भृंगराज तेल, तुलसी चूर्ण, अमलाक्यादि चूर्ण, नवायस चूर्ण, कौंच चूर्ण, शतावरी चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, क्रीमिघ्न चूर्ण, प्रदारांतक चूर्ण, पुनर्नवा चूर्ण, सर्वज्वरहर चूर्ण और वैश्वानर चूर्ण है। इन उत्पादों को छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बाजार में विपणन किया जाता है, जिससे इनकी पहुंच देशभर के उपभोक्ताओं तक हो रही है। स्व-सहायता समूह से जुड़ी सभी पीवीटीजी महिलाएं मुक्त कंठ से प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और वन मंत्री केदार कश्यप को धन्यवाद देते हुए बताती हैं कि पीएम जनमन योजना से उनके जीवन में आर्थिक बदलाव आया है और वे बहुत खुश हैं।

वन विभाग द्वारा महिलाओं को उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा समय-समय पर यह कार्यक्रम आयोजित की जाती है। इन प्रशिक्षणों ने महिलाओं को न केवल कौशल विकास में मदद की, बल्कि उन्हें उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने और बाजार की आवश्यकताओं को समझने का अवसर भी प्रदान किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा द्वारा महिलाओं को आधुनिक मशीनें और उत्पादन उपकरण प्रदान किए गए हैं, जिससे उत्पादों का समय पर निर्माण और उच्च गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो रही है।

विशेष रूप से, भृंगराज तेल को पारंपरिक तेल पाक विधि से तैयार किया जाता है, जिसमें तिल के तेल में औषधीय जड़ी-बूटियों को सात दिनों तक पकाया जाता है। यह तेल बालों की देखभाल के लिए अत्यधिक प्रभावी है, जो बालों का झड़ना रोकता है और उनकी वृद्धि करता है साथ ही बालों की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। इसके अलावा महाविषगर्भ तेल, जो पीठ और जोड़ों के दर्द के लिए उपयोगी है, केंद्र का एक और लोकप्रिय उत्पाद है।

पीवीटीजी वन-धन विकास केंद्र, केशोड़ार केवल उत्पादों का निर्माण नहीं कर रहा है, बल्कि एक परंपरा और ज्ञान को संरक्षित कर बढ़ावा दे रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ की सक्रिय भागीदारी और इनकी मार्केटिंग रणनीति ने इस सफलता को संभव बनाया है। इस केंद्र की सफलता ने दिखाया है कि कैसे परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक का समन्वित उपयोग कर ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

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