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अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा पर 10 साल का राजनीतिक प्रतिबंध,  आदेश जारी  

पंजाब । अकाली दल बादल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा मंगलवार को श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हुए। पिछले दिनों वल्टोहा ने जत्थेदारों पर बीजेपी और आरएसएस के दबाव को लेकर बयान दिया था, जिस पर पांच सिंह साहिबान की तरफ से वल्टोहा से स्पष्टीकरण मांगा गया था। मंगलवार को वे श्री अकाल तख्त साहिब पर अपना स्पष्टीकरण लेकर पेश हुए। इस दौरान विरसा सिंह ने करीब तीन घंटे तक सिंह साहिबान के अलग-अलग सवालों का जवाब दिया।

वल्टोहा ने सिंह साहिब को अपना माफीनामा दिया। सिंह साहिबान ने आदेश दिए थे कि वल्टोहा अपनी बयानबाजी के संबंध में सारे सबूत लेकर पेश हो लेकिन वल्टोहा सिर्फ माफीनामा लेकर ही अकाल तख्त पर पेश हुए। सिंह साहिबान ने वल्टोहा के साथ हुए सवाल जवाब की वीडियोग्राफी भी करवाई। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल के वर्किंग अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ को आदेश दिए हैं कि विरसा सिंह वल्टोहा की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाते हुए उनकी प्राथमिक सदस्यता रद्द की जाए और उन्हें पार्टी से 10 वर्ष के लिए बाहर निकाल दिया जाए।
वल्टोहा ने शनिवार को सोशल मीडिया पर बयान दिया था कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरएसएस व भाजपा के दबाव के कारण ही अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को तनखाइया एलान किया है।

सुखबीर बादल कई बार जत्थेदार रघबीर सिंह से सिंह साहिबानों की बैठक जल्द से जल्द बुलाने की अपील भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक बैठक की तिथि घोषित नहीं की जा सकी है। जत्थेदार ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर को पूर्व अकाली सरकार के दौरान हुई गलतियों व गुनाहों के लिए तनख्याइयां घोषित किया था। ज्ञानी रघबीर सिंह ने वल्टोहा के इस बयान का कड़ा संज्ञान लेते हुए इस के सबूत अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर देने के आदेश दिए थे। वल्टोहा ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर भी आरएसएस व भाजपा के साथ संंबंध होने के आरोप लगाए। इसे लेकर वल्टोहा की आलोचना हो रही है।

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