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रायपुर के पहले विपश्यना केन्द्र में पहला दस दिवसीय शिविर 22 सितंबर से

युवाओं को मानसिक रूप से सबल बनाने में लाभकारी है विपश्यना ध्यान

रायपुर । रायपुर में नवनिर्मित पहले विपश्यना ध्यान केन्द्र धम्मकुटी में पहला दस दिवसीय विपश्यना ध्यान शिविर का आयोजन 22 सितंबर से किया जा रहा है। 22 सितंबर से 3 अक्टूबर 2024 तक आयोजित शिविर का संचालन रायपुर के सहायक आचार्य गंगाराम प्रजापति करेंगे।

छत्तीसगढ़ विपश्यना केन्द्रों के आचार्य डॉ सीताराम साहू ने बताया कि नवनिर्मित ध्यान केन्द्र सर्वसुविधायुक्त तथा ध्यान के अनुकूल मापदंडों पर निर्मित है। साधकों एवं आचार्यों के ठहरने के लिए 53 कक्ष हैं। डॉ साहू ने बताया कि विपश्यना ध्यान की शिक्षा निःशुल्क ही दी जाती है तथा भोजन एवं आवासीय व्यवस्था कृतज्ञ साधकों के स्वैच्छिक दान से होता है। 20 वर्ष से अधिक उम्र के इच्छुक व्यक्ति शिविर में सम्मिलित हो सकते हैं। धम्मकुटी में विपश्यना ध्यान के लिए अगले एक वर्ष का कैलेंडर भी जारी कर दिया गया है जिसमें प्रतिमाह एक दस दिवसीय शिविर का आयोजन किया जाना है। इस कड़ी में अगले माह 13 से 24 अक्टूबर , 7 से 18 नवंबर तथा 8 से 19 दिसंबर तक दस दिवसीय विपश्यना ध्यान शिविर आयोजित है। इच्छुक व्यक्ति रजिस्ट्रेशन के लिये https://www.dhamma.org/en/schedules/schkuti में जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आवेदन कर सकते हैं। मो. 9926342705 पर महेन्द्र प्रसाद से अथवा 6268655951 पर संजय अग्रवाल से संपर्क कर सकते हैं।

केन्द्री के पास सिंगारभाठा में निर्मित यह ध्यान केन्द्र दुर्ग और बिलासपुर के बाद प्रदेश का तीसरा विपश्यना ध्यान केन्द्र है। विपश्यना, दैनिक जीवन के तनाव और कठिनाईयों को शांत एवं संतुलित तरीके से सामना करने के लिये स्व-सजगता की व्यावहारिक विधि है। जीवन-जीने की इस कला से मानसिक विकार दूर होते हैं।

आज के तनाव भरे जीवन में युवाओं को विशेषकर लाभ मिला है। आनापान के माध्यम से व्यक्ति अपने श्वास को देखते हुए अपने अंदर हो रहे बदलावों को जानता है। नियमित अभ्यास के बाद सबसे पहले व्यक्ति को बेचैनी, घबराहट , भय जैसी मानसिक परेशानी के बचाव होता है। समाज में फैल रही विकृतियों से बचने में विपश्यना ध्यान एक कारगर पद्धति है।

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