Bus Truck Strike : अश्वासन के बाद ट्रक-बस ड्राइवरों की हड़ताल खत्म
अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस (AIMTC) और गृह मंत्रालय के बीच हुई लंबी बातचीत
नई दिल्ली। देशभर में ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। दिल्ली, यूपी, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों में ट्रक और बसों के पहिए थम गए, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह से ठप हो गया था। हजारों यात्री अपने गंतव्य पर जाने के लिए परेशान होते रहे, कोई भी बस ड्राइवर बस चलाने को तैयार नहीं था। लेकिन अब सरकार और चालकों के बीच सुलह हो गई है। अगर ये हड़ताल नहीं रोकी जाती तो आम जनता की जेब पर इसका भारी असर भी पड़ सकता था। ट्रक ड्राइवर की हड़ताल की वजह से सब्जियां महंगी होने लगी थी। दूध, दवाइयां और रसोई गैस की कमी हो सकती थी। उधर पेट्रोल पंपों पर पहले ही लंबी-लंबी कतारें लगने लगी थी। कुछ शहरों के पेट्रोल पंप पर तो तेल खत्म भी हो गया था।
नए कानून को लेकर मंगलवार (2 जनवरी) को अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस (AIMTC) और गृह मंत्रालय के बीच लंबी बातचीत हुई। आखिरकार सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया कि कानून अभी लागू नहीं हुआ है। नए लागू करने से पहले ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट से विचार विमर्श किया जाएगा। इस आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले ली गई।
नए कानून के तहत अगर लापरवाही या तेज स्पीड से गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और आरोपी ड्राइवर पुलिस को सूचित किए बिना ही मौके पर फरार हो जाता है तो उसे 10 साल की जेल की सजा काटनी पड़ सकती है या 7 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। अगर वह भागता नहीं है तो भी उसे पांच साल की सजा काटनी पड़ सकती है। सबसे खास बात ये है कि दोनों ही मामले गैर-जमानती हैं, पुलिस थाने से जमानत नहीं मिलेगी।
इससे पहले कानून काफी नरम था। पुराने हिट एंड रन कानून के मुताबिक, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है। यही नहीं, आरोपी ड्राइवर को तुरंत थाने से जमानत भी मिल जाती है।
किस बात पर हुई सुलह
ट्रक और बस ड्राइवरों को ‘हिट एंड रन’ कानून में हुए संशोधन से परेशानी थी. इसको लेकर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और ट्रांसपोर्ट संगठन के बीच बातचीत हुई. उन्हें ये भरोसा दिया गया है किआपसे बात करने के बाद ही संशोधन लागू किए जाएंगे. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि हमने अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के प्रतिनिधियों से बातचीत की है. सरकार ये बताना चाहती है कि नए कानून और प्रावधान अभी लागू नहीं हुए हैं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) लागू करने से पहले हम ट्रांसपोर्ट कांग्रेस से चर्चा करेंगे, इसके बाद ही फैसला लेंगे. बता दें कि दिलहाल के लिए सरकार और ट्रांसपोर्टर के बीच सहमति बन गई है.
ट्रक ड्राइवर्स का क्या तर्क था?
ट्रक और बस ड्राइवर्स का कहना है कि किसी को टक्कर लगने पर हम इसलिए भाग जाते हैं, क्योंकि वहां मौजूद लोग मारपीट कर सकते हैं। साथ ही इनका दावा था कि भले बड़े वाहन की गलती न हो फिर भी उन्हीं की गलती बताई जाती है। ये मोटर व्हीकल एक्ट में भी बदलाव की मांग कर रहे थे।