छत्तीसगढ़

शिक्षित परिवार नाबालिग भांजी का करवा रहे थे बाल विवाह, संयुक्त टीम ने दी दबिश

शिक्षित परिवार नाबालिग भांजी का करवा रहे थे बाल विवाह, संयुक्त टीम ने दी दबिश

कलेक्टर रणबीर शर्मा के आदेशानुसार जिले में बाल विवाह मुक्त करने हेतु संयुक्त टीम जिले में लगातार कार्यवाही कर रही है। बीते दिवस चाइल्ड हेल्पलाईन न. 1098 जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग को विकासखण्ड नवागढ़ के ग्राम रिसाअमली, तह-नवागढ़ की एक बालिका जिसका उम्र महज 14 वर्ष 7 माह की है, उक्त बालिका के बाल विवाह की जानकारी प्राप्त हुई थी, जानकारी के आधार पर चन्द्रबेश सिंह सिसोदिया जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं सी.पी. शर्मा महिला एवं बाल विकास अधिकारी के निर्देशानुसार जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री व्योम श्रीवास्तव एवं नवागढ़ परियोजना अधिकारी अमिता श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में बाल विवाह के रोकथाम हेतु कार्यवाही की गयी। उक्त ग्राम में जांगड़े / सोनवानी परिवार के एक बालिका का मामा घर से बाल विवाह होने जा रहा था। बाल विवाह किये जाने की सूचना पर महिला एवं बाल विकास विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 एवं पुलिस विभाग के संयुक्त टीम द्वारा शिकायत प्राप्त होने पर जांगड़े / सोनवानी परिवार में बाल विवाह रोकवाया गया। उक्त बालिका की बारात ग्राम अछोली, जिला बलौदाबाजार कुर्रे परिवार से आना था। सूचना के पश्चात टीम द्वारा बालिका के परिजनों के समक्ष कार्यवाही किया गया। बालिका के परिजनों के द्वारा निर्धारित आयु पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह किये जाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की गई तथा विवाह स्थगित करने की बात कही गई. युवक के परिजनों के कथन अनुसार हमें यह ज्ञात नहीं था कि वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् 18 वर्ष से कम आयु की बालिका एवं 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह गैर कानूनी है।
उक्त गठित टीम में महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक लक्ष्मी भारती, संरक्षण अधिकारी (संस्थागत) राजलक्ष्मी सोनी, परियोजना समन्वयक राजेन्द्र प्रसाद चन्द्रवंशी, परामर्शदाता शाईस्ता परवीन, प्रधान आरक्षक अशोक तिर्की, आरक्षक भोलाराम साहू, आ.बा. कार्यकर्ता रागिनी बंजारे एवं ग्राम कोटवार खेमालूदास जांगडे के द्वारा समझाईस दिये जाने पर वधू पक्ष द्वारा उक्त बालिका की विवाह वर्तमान में मौजूदा कानून के तहत् विवाह किये जाने की शपथपूर्वक कथन किया गया। संयुक्त टीम द्वारा उन्हे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया गया कि निर्धारित आयु पूर्ण होने के पूर्व विवाह करवाना अपराध है. बाल विवाह कराने वाले सभी सेवा प्रदाताओं पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। जो व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है, तो उसे भी 02 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रु. तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह के दुष्परिणामः बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह से बच्चों के अच्छे पोषण और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में भी शिक्षा के अधिकारों का हनन होता है। बाल विवाह से बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पडता है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी को बालक विवाह प्रतिषेध अधिकारी घोषित किया गया है। बाल विवाह की सूचना अनुविभागीय दण्डाधिकारी, पुलिस थाने में महिला एवं बाल विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी/कर्मचारी/ऑगनबाडी कार्यकर्ता, सरपंच, कोटवार आदि को दी जा सकती है। इस कानून के अनुसार बाल विवाह के बंधन में आने वाले बालक/बालिका को अपना विवाह शून्य घोषित कराने का अधिकार है। बाल विवाह की जानकारी प्राप्त होने की स्थिति में चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 में या विभागीय मो. न. 8319141116, 8269844404 पर सूचित किया जा सकता है।

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