Entertainment News : बचपन में आर्थिक तंगी झेल चुके हैं ये गायक
Entertainment News : बचपन में आर्थिक तंगी झेल चुके हैं ये गायक
हाल ही में सिंगर गुरु रंधावा ने खुलासा किया है कि वह अपना जेब खर्च निकालने के लिए अपने गांव के किसी भी छोटे से कार्यक्रम में गाना गा देते थे। यह कहानी सिर्फ गुरु की नहीं है, बल्कि कई ऐसे बड़े नाम हैं जिन्हें देखकर आपको लगता होगा कि इनके जैसी ऐशो-आराम की जिंदगी मिल जाए, तो क्या कहने! लेकिन क्या आपको ये भी पता है कि यहां तक पहुंचने के लिए इन्होंने किस तरह तिनका-तिनका जोड़ा है। पेश है आपके लिए ऐसी ही कुछ हस्तियों के संघर्ष की कहानी।
जेब खर्च निकल जाए बस
पंजाबी गायक गुरु रंधावा के गाने आज हर कोई गुनगुनाता है, लेकिन आप गुरु के संघर्ष के बारे में जानेंगे, तो हैरान रह जाएंगे। गुरु ने पाॅकेट मनी के लिए महज 9 साल की उम्र में गांव की शादियों में गाया है। हाल ही में गुरु ने खुद इसका खुलासा किया। जब गुरु किसी शादी में गाते थे, तो लोग उनका गाना पसंद कर कभी 10 रुपये तो कभी 20 रुपये दे देते थे। इतना पाकर ही वह काफी खुश हो जाते और ये पैसा अपने घर पर भी देते और खुद के जेबखर्च के लिए भी इस्तेमाल करते। आज गुरु ने अपनी मेहनत से जो अपनी जगह बना ली है, उससे वो करोड़ों फैंस के दिलों पर राज कर रहे हैं। फिलहाल वह अपनी फिल्म ‘कुछ खट्टा हो जाए’ से अपना बाॅलीवुड में एक्टिंग डेब्यू कर रहे हैं।
काम के लिए दर-दर भटके
शिव भजन और सूफी गायकी से एक अलग नाम बनाने वाले गायक कैलाश खैर के लिए भी यहां तक की राह बिल्कुल आसान नहीं रही। उन्होंने महज 14 साल की उम्र में संगीत को अपनी दुनिया बनाने के लिए अपना घर छोड़ दिया। इसके बाद कैलाश के जीवनयापन के लिए पैसों की भी कमी पड़ जाती थी। तब वह काम की तलाश में जगह-जगह घूमे। इसी दौरान उन्हें संगीत सीखने का भी मौका मिला। इन्होंने खुद तो सीखा ही, साथ ही धीरे-धीरे दूसरों को भी इसकी शिक्षा दी। उस वक्त कैलाश बस 150-200 रुपये ही कमा पाते थे। इसी पैसे से वह अपने घर और पढ़ाई का भी खर्चा निकालते थे।
जब निभानी थी घर की जिम्मेदारी भी
जाने-माने गायक और म्यूजिक कंपोजर ए आर रहमान के लिए भी बचपन इतना सुकूनदायक नहीं रहा। कम उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया और उन पर घर की जिम्मेदारियों का भार भी आ गया। ऐसे में उन्होंने मजबूरी में पढ़ाई छोड़कर घर की जिम्मेदारियां उठाने के लिए काम करना शुरू कर दिया। इन्होंने चार साल की उम्र में ही प्यानो सीखना शुरू कर दिया और ये कभी-कभार अपने पिता के साथ स्टूडियो में जाकर प्यानो बजाते। बस यही आगे चलकर इनके काम आया। इन्होंने इसे प्रफेशन के तौर पर अपनाया और इससे आगे चलकर अपनी आजीविका कमाई। आज ये कई सारे सम्मान प्राप्त कर चुके हैं और इन्हें इनकी फिल्म ‘स्लमडाॅग मिलेनियर’ के गानों के लिए आॅस्कर अवाॅर्ड भी मिल चुका है