अगर आप सर्च करते हैं प्राइवेट वीडियो और फोटो, तो दें ध्यान
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गूगल की ओर से एक बड़ा फैसला लिया गया है। अमेरिकी कोर्ट के निर्देश पर गूगल बड़ी संख्या में यूजर्स का प्राइवेट सर्च डेटा डिलीट करने जा रहा है। बता दें कि गूगल क्रोम ब्राउजर के इन्कॉग्निटो मोड में प्राइवेट ब्राउंजिंग की सुविधा देता था, जिस डेटा को गूगल डिलीट करने जा रहा है। हालांकि सवाल उठता है कि आखिर गूगल को क्यों अरबों की संख्या में डेटा को डिलीट करना पड़ रहा है? आइए जानते हैं विस्तार से…
क्या था मामला?
गूगल पर यूजर्स के डेटा को ट्रैक करने के आरोप लगते रहे हैं। इसे लेकर साल 2020 में कोर्ट में एक मामला दाखिल किया गया। इसमें दावा किया गया कि गूगल क्रोम ब्राउजर के इन्कॉग्निटो मोड में यूजर जो कुछ भी सर्च करता है, गूगल उसकी ट्रैकिंग करता है। गूगल का कहना था कि ऐसा यूजर एक्सपीरिएंस को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, जिससे यूजर को पसंद की चीजें सर्च करना आसान हो जाएगा। गूगल का यह भी कहना था कि अगर यूजर चाहें, तो अपने डेटा ट्रैंकिंग को बंद कर सकता है।
समझौते को राजी गूगल
हालांकि कोर्ट के सामने मुकदमा करने वाली पार्टी ने कहा कि इन्कॉग्निटो मोड में भी थर्ड पार्टीज एक्सेस मिल जाता है। शिकायत में कहा गया कि गूगल ने दूसरों को अपने यूजर्स की जिंदगी की प्राइवेट जानकारी उपलब्ध कराने का काम किया है। गूगल पर आरोप लगा कि इन्कॉग्निटो मोड के डेटा का इस्तेमाल एडवरटाइजिंग के लिया किया जाता रहा है। गूगल ने सर्चिंग डेटा को डिलीट करने पर सहमित जताई है। ऐसा करके गूगल 5 बिलियन डॉलर के हर्जाने से बच सकता है।