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चर्चा में…! सामंजस्य की कमी फिर है मौका 2024

रायपुर । वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त हो जाएगा, उससे पहले आम चुनाव होने जा रहे हैं। सभी राजनीतिक दल देश के अंदर एलाइंस तैयार कर चुनाव की राजनीति शुरू कर दी है। जहां तक छत्तीसगढ़ में आम चुनाव 2024 की बातचीत है, आज इस मुद्दे पर चर्चा के अंतर्गत ज्वलंत सवाल सामने रखने जा रहे हैं।
पिछले दिनों विधानसभा चुनाव 2023 समाप्त हुए हैं। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को प्रत्याशी जीत मिली है। कांग्रेस आश्चर्य में है, पराजय किस तरह मिला। इस सवाल का उत्तर सभी कांग्रेसियों के पास है, लेकिन उत्तर को लेकर सामंजस की कमी फिर नजर आने लगी है। 2023 में मिली हार के महत्वपूर्ण प्रश्न में बूथ मैनेजमेंट ओवर कॉन्फिडेंस वरिष्ठ नेताओं का प्रमुख रहा है। क्या इन सवालों का उत्तर कांग्रेस ने ढूंढ लिया, नहीं विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी की कमान प्रदेश में बदल गई। नई नेतृत्व राजस्थान के सचिन पायलट को दी गई है जो राजस्थान के साथ छत्तीसगढ़ के भी प्रभारी हैं। कुमारी शैलजा को हटा दिया गया, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज नहीं बदले गए। कांग्रेस को लगता है दीपक में दम है। रोशनी 2011 की सामने आएगी लेकिन आज भी सामंजस की कमी है। अब तक सभी वरिष्ठ चुनाव के बाद से एक मंच में चिंतन और मनन के लिए नहीं बैठ पाए हैं। आखिरकार अंतिम मौका है। कई चेहरे सामने आ रहे हैं, चुनाव लडऩे की तैयारी चल रही है। मगर एक बार फिर से उन बातों पर विचार कर लेना चाहिए, नहीं तो 2024 बाद में मौका नहीं मिलेगा।
भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित है तैयारी भी है। अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह अवसर खुल के और आगे आ गया है। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव के नेतृत्व में टीम भाजपा अच्छा काम कर रही है। संघ का अच्छा तालमेल है। लोकसभा की 11 सीट पर तैयारी चल रही है। क्या भाजपा विधानसभा चुनाव का प्रैक्टिकल लोकसभा में कर सकती है यह प्रश्न है, जिस तरह से चेहरे बदलकर विधानसभा चुनाव जीत लिया गया। उससे तो स्पष्ट है की 11 सीट पर भाजपा चेहरे बदलेगी। राजनांदगांव लोकसभा से अभिषेक सिंह को उम्मीदवारी मिलती है या नहीं प्रश्न चिन्ह है, परंतु विजय बघेल को दुर्ग से अवश्य मौका मिलेगा ,रणनीतिकार ऐसा मानते हैं। विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल को जो चुनौती दी गई। विजय बघेल की चुनौती महत्वपूर्ण है। इसलिए पार्टी सांसद विजय बघेल को अनदेखा नहीं कर सकती, लेकिन रायपुर लोकसभा से सांसद सुनील सोनी और सरगुजा से गोमती साईं इतिहास रिपीट करने के लिए तैयार हैं। क्या चेहरे बदल देंगे। कांग्रेस में रायपुर से दो प्रमुख नाम की चर्चा चल रही है। संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला और हाल ही में विधानसभा चुनाव के अंदर बलौदा बाजार से हार का सामना करने वाले शैलेश त्रिवेदी को टिकट मिलेगी या नहीं चर्चा में है, क्योंकि हर बार यह कहा जाता है पार्टी टिकट का बंटवारा करती है चुनाव तो पार्टी लड़ती है। ऐसे में पार्टी लाइन में चलने वाले ही चेहरे सामने में होंगे । चिकित्सा क्षेत्र से भी जुड़े अनुभवी कांग्रेस नेता को रायपुर लोकसभा का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। चर्चा यह भी है एक प्रमुख व्यक्ति ने डॉक्टर से चर्चा की है, कानों-कान होने वाली चर्चा में डॉक्टर विधानसभा में भी संभावित में शामिल थे टिकट नहीं मिली। 20 करोड़ के लोकसभा चुनाव में दिग्गज कवच और चुनौती देनी चाहिए तभी चुनाव दिलचस्प हो पाएगा । कांग्रेस सचिन पायलट के नेतृत्व में लोकसभा लडऩे जा रही है। छत्तीसगढ़ राजस्थान में कोऑर्डिनेशन किस तरह से कर पाएंगे यह उनके लिए चुनौती है, लेकिन कि कांग्रेस के डॉ. शिवकुमार डहरिया और डॉक्टर चरण दास महंत, अमरजीत भगत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव के नाम दीपक बैज के साथ आवश्यक चर्चा में रहेंगे। उधर रायपुर लोकसभा से श्री चंद्र सुंदरानी उम्मीद में है। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर सभी 11 लोकसभा सीट पर प्रमुखता की प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के पास चिंतन के लिए समय नहीं है। फरवरी की शुरुआत हो गई है, अप्रैल में जमीन पर उतरकर चुनाव की चुनौती को स्वीकार करना होगा। लेकिन दोनों ही के पास एक सवाल आवश्यक मौजूद है, क्या सामंजस्य है या सूचना होगा। पार्टी के भीतर कई तरह की उथल-पुथल है। कांग्रेस में शैलजा ने छोड़ दिए सवाल भाजपा में जगदलपुर की किरण देव को अरुण साहू की जगह नेतृत्व मिलने के बाद समीकरण बदल सकते हैं।

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