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सच ही है, आंबेडकर जी सम्मान का विषय, फैशन के नहीं


प्रवीण गुगनानी

भाजपा के डीएनए में प्रारंभ से ही “दलित विमर्श” रहा है, क्योंकि इसका मातृ संगठन आरएसएस प्रारंभ से ही “सामाजिक समरसता” के मार्ग पर चलने वाला संगठन रहा है। आंबेडकर जी, संत पेरियार, महात्मा फुले, नारायण स्वामी जैसे दलित महापुरुष संघ के प्रतिदिन होने प्रातः स्मरण मंत्र में सम्मिलित हैं। संघ के स्वयंसेवक जो भाजपा के कार्यकर्ता बनते हैं वे प्रतिदिन अपने प्रातः स्मरण के मंत्र में आंबेडकर जी का नाम श्रद्धा से लेते हैं। संघ के वरिष्ठ प्रचारक और विश्व के सबसे बड़े मजदूर नेता दत्तोपंत ठेंगड़ी तो बाबासाहेब के चुनाव में आधिकारिक एजेंट की भूमिका में रहे हैं। इस तथ्य से आप उस कालखंड में संघ व आंबेडकर जी की म्यूचुअल अंडरस्टेंडिंग समझ सकते हैं। संघ के मूल चिंतन में दलित चिंता सदैव रही है, इसका परिणाम है कि मुंबई में जिस स्थान पर भाजपा का जन्म हुआ, उस स्थान का नाम संघ के प्रचारकों ने “समता नगर” रखा था। यह नाम एक बड़ा प्रतीक था भाजपा के दलित चिंतन वाले डीएनए का। बड़े दलित नेता व दलित पेंथर मूवमेंट के नेता दत्ताराव शिंदे यह सब देखकर ही भाजपा के कार्यकर्ता बने थे।

संविधान पर चर्चा में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जो कहा उसके पहले 11 सेकंड के अंश को भ्रामक रूप से देशभर में फैलाया जा रहा है। इससे कांग्रेस, आंबेडकर जी को फैशन का विषय मानने के अपने चिर पुराने चरित्र को ही दोहरा रही है। गृहमंत्री के इस वक्तव्य को यदि पूरा सुनेंगे तो आंबेडकर जी के अपमान के सारे वहम दूर हो जाते हैं। अमित शाह ने कहा- “हमे तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं। आंबेडकर का नाम आप 100 बार ज्यादा लो, लेकिन साथ-साथ आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है, ये भी बताता हूं। आंबेडकर को देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों देना पड़ा। आंबेडकर जी ने कई बार कहा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के प्रति हो रहे व्यवहार से मैं असंतुष्ट हूं। सरकार की विदेश नीति से मैं असहमत हूं और अनुच्छेद 370 से मैं असहमत हूं”। शाह ने आगे कहा, आंबेडकर जी को आश्वासन दिया गया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया, बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।” “उन्होंने कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं। आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नहीं हुआ इसलिए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।”

बार-बार संविधान और फैशन में डॉ. आंबेडकर का नाम रटने वाली कांग्रेस ने तो बाबा साहेब को संविधान सभा के 296 सदस्यों में डॉ. आंबेडकर को प्रवेश तक न मिलने देने के षड्यंत्र रचे थे। बाद में दलित नेता जोगेंद्रनाथ मंडल के सहयोग से वे येन-केन प्रकारेण संविधान सभा में प्रवेश कर पाये थे। डॉ. आंबेडकर बंगाल की जिस खुलना जैसोर सीट से संविधान सभा में पहुँचे थे, वह इकहत्तर प्रतिशत हिंदू बहुल थी। देश विभाजन में इक्यावन प्रतिशत हिंदू बहुल क्षेत्रों को भारत में रहने देना तय हुआ था। केवल बाबासाहेब को संविधान सभा में घुसने से रोकने के लिए कांग्रेस ने बंगाल का यह इकहत्तर प्रतिशत वाला जिला पाकिस्तान को दे दिया ताकि डॉ. आंबेडकर की संविधान सभा की सदस्यता रद्द हो जाए।

आज आंबेडकर जी का नाम फैशन में लेने वाली कांग्रेस ने तो उनका चित्र तक लोकसभा में नहीं लगने दिया था। संसद में, गैरकांग्रेसी सरकार बनने पर ही उनका चित्र लग पाया था। भाजपा ने आंबेडकर जी से जुड़े पाँच स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया। बाबासाहेब लंदन में जिस घर में रहे, भाजपा सरकार ने उसका भी अधिग्रहण किया व उनके स्मारक के रूप में उसे लंदन तक में विकसित किया। भाजपा ने ही चैत्य भूमि को विकसित किया और प्रधानमंत्री मोदी वहाँ स्वयं प्रार्थना के लिए गए। भाजपा ने दिल्ली के 26, अलीपुर रोड को भी विकसित किया, जहां बाबासाहेब ने अपना अंतिम समय व्यतीत किया था। कांग्रेस के दुष्प्रचार के विरुद्ध प्रधानमंत्री मोदी जी के इस ट्वीट (एक्स) का एक-एक शब्द एक-एक पुस्तक के बराबर है –

If the Congress and its rotten ecosystem think their malicious lies can hide their misdeeds of several years, especially their insult towards Dr. Ambedkar, they are gravely mistaken!

The people of India have seen time and again how one Party, led by one dynasty, has indulged in every possible dirty trick to obliterate the legacy of Dr. Ambedkar and humiliate the SC/ST communities.

देश विभाजन की जनक कांग्रेस के सामने बाबासाहेब प्रारंभ से ही अखंड भारत के पक्ष में थे। यह नेहरू जी को बहुत भयभीत करता था। नेहरू जी, आंबेडकर जी की प्रतिभा को जानते थे अतः वे उन्हें सत्ता की दहलीज़ तक भी नहीं आने देना चाहते थे। आंबेडकर जी मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए किए जा रहे गांधीजी, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना के प्रयासों के पुरजोर विरोधी थे। आंबेडकर जी की पुस्तक “थॉट्स ऑन पाकिस्तान” में इसका पूरा विवरण है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि “मुस्लिम तुष्टिकरण” की नीति के चलते कांग्रेस ने देश का विभाजन कर डाला। बाबासाहेब का यह स्पष्ट मानना था कि चूँकि धर्म आधारित विभाजन हुआ है अतः संपूर्णतः “तुम उधर-हम इधर” की नीति अपनाई जानी चाहिए। बाबासाहेब ने अपनी पुस्तक “थॉट्स ऑन पाकिस्तान” में भारत के धार्मिक आधार पर पूर्ण विभाजन के आशय से पृष्ठ 103 पर लिखा “यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि पाकिस्तान बनने से हिंदुस्तान सांप्रदायिक समस्या से मुक्त नहीं हो जाएगा”। आंबेडकर जी के इन्हीं मुस्लिम विरोधी विचारों के कारण से ‘मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे नेहरू जी व गांधी जी’ आंबेडकर जी को आगे नहीं आने देना चाहते थे। इसी क्रम में मुंबई से दो बार आंबेडकर जी को चुनाव में षड्यंत्रपूर्वक हरवाया गया। इन दोनों बार के चुनावों में आंबेडकर जी की पराजय सुनिश्चित करने हेतु प्रधानमंत्री नेहरू ने स्वयं मुंबई जाकर चुनाव प्रचार किया था व अपने विरोधी दलों से भी आंबेडकर जी को पराजित कराने हेतु मित्रतापूर्ण संबंध बनाए थे।

आज जो कांग्रेस और अन्य दल आंबेडकर जी का नाम फैशन या सत्ता मोह में ले रहे हैं, उन्हें इस बात को स्पष्ट तौर पर समझ लेना चाहिए कि आंबेडकर जी केवल और केवल सम्मान का विषय हैं फैशन का नहीं!

(लेखक, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में राजभाषा सलाहकार हैं।)

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