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छत्तीसगढ़

कलिंगा विश्वविद्यालय में शोध : लोटस रेशम धागा और कपड़ा छत्तीसगढ़ में पहले एक्वाफाइबर के रूप में

एनआईआरएफ 2023 में रैंक बैंड 101-150 के बीच स्थान पाने वाली तथा देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार कलिंगा यूनिवर्सिटी, नया रायपुर लगातार सफलता की नई ऊंचाइयों की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है।

इसी संदर्भ में कलिंगा विश्वविद्यालय की कला एवं मानविकी संकाय की प्राध्यापिका डॉ. विनीता दीवान ने लोटस यार्न को सफलतापूर्वक निकाला और विकसित किया है, जो एक एक्वाफाइबर है जिसे लोटस सिल्क के रूप में भी जाना जाता है और कपड़ा और फैशन उद्योग में विभिन्न प्रकार के फैब्रिक में उपयोग किया जाता है।

डॉ. दीवान छत्तीसगढ़ राज्य में कमल के धागे पर काम करने और विकसित करने वाले पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने थोक में धागे का उत्पादन करने का निश्चय किया है, क्योंकि राज्य में तालाबों, आर्द्रभूमियों की प्रचुरता है जो साल भर कमल से भरे रहते हैं। सूत बनाना पूरी तरह से हस्तनिर्मित प्रक्रिया है और फैशन उद्योग में इसकी काफी मांग है, जहां इसकी सांस लेने योग्य, हल्के वजन, हवादार और समग्र प्रकृति के कारण इसे सबसे विशिष्ट और महंगे कपड़ों में से एक माना जाता है। यार्न के विकास और निर्माण में डॉ. दीवान ने संचालनालय खादी ग्रामोद्योग छत्तीसगढ़ के सहयोग से राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन (एनआरएलएम) कौशल विकास कार्यक्रम के तहत चरोदा धरसीवा और श्यामनगर गरियाबंद में दो प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं। तैयार धागे मिश्रित और शुद्ध दोनों प्रकार के कपड़े बनाने के लिए बुनकरों के लिए बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

डॉ. दीवान ने लोटस सिल्क यार्न विकसित करने के लिए उन्हें अनुकूल अवसर और रचनात्मक मंच प्रदान करने के लिए कलिंगा विश्वविद्यालय प्रबंधन के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता और आभार व्यक्त करती हैं। वह उन्हें सफलता की राह पर ले जाने के लिए कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी को विशेष धन्यवाद देती हैं।

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