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छत्तीसगढ़

स्वामी मैथिलीशरण महाराज द्वारा छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण पर सनातन वक्तव्य…

होली हाट्र्स शिक्षण अकादमी को किया राममय

ग्यारह सौ बच्चों ने एक स्वर में बोला जय श्रीराम

रायपुर। 20 जनवरी को, होली हाट्र्स शिक्षण अकादमी में जय श्रीसीताराम!!श्रीरामकिंकर विचार मिशन के अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण के उद्बोधन ने बच्चों में भरा उत्साह। कहा आप सब बच्चों में सुगन्ध है छाया और रस है। स्वामी जी ने कहा तुम सबके मूल राम हैं उसी मूल को पकड़े रहो जीवन धन्य हो जायेगा।स्वामी जी ने सरस्वती जी के चार हाथों की व्याख्या करते हुए कहा कि सारे ग्रन्थों को पढऩे के बाद भी यह समझ आ जाये कि अभी और पढऩा बाकी है। यही है अनंत और अनादि को जानना।मर्यादा और स्वतंत्रता को परिभाषित करते हुए कहा कि मर्यादा का पालन करना केवल छोटे के लिए ही नहीं अपितु बड़ो के लिए भी है। संतुलन ही जीवन है. बड़ा यह न भूलें कि हम बड़े हैं. छोटे यह न भूलें कि हम छोटे हैं।सूर्य में मर्यादा है. चन्द्रमा में श्रृंगार ।राम में मर्यादा का श्रृंगार है । कृष्ण में श्रृंगार की मर्यादा।

जीवन में राम और कृष्ण. द्वापर और त्रेता . सबका सामंजस्य होना चाहिए।अतिरेक से जीवन में विकास और सृजन नहीं होता है।स्वामी जी ने कहा कि बच्चे क्लास रूम में जिस मर्यादा में रहते हैं.स्कूल की छुट्टी के बाद भी यदि उन बच्चों से उसी मर्यादा की आशा की जाये तो यह अतिरेक हो जायेगा।
इसी कड़ी में आगे विद्यार्थियों के लिए उन्होंने अपने आशीर्वाद वचन में कहा कि जब तक मिटटी कच्ची रहती है, तब तक निर्माण की संभावना बनी रहती है। बच्चे इस समय कच्ची मिट्टी है इन बच्चों में अनेक मूर्तियां बनने की संभावना है?। जब मूर्ति बन जाती है तब प्राण प्रतिष्ठा की जाती है । भजन की सनातन व्याख्या को जो बच्चा जान जाएगा उसका जीवन सुख -समृद्धि से भर जाएगा। जीवन में संतुलन आवश्यक है। जेल पागलखाने में वही व्यक्ति जाता है जो जीवन में तालमेल नहीं बैठ पाता। बरगद,पीपल के पेड़ बहुत बड़े होते हैं उनमें छाया देने की शक्ति होती है ।सुगंधित फूलों के लिए छोटे-छोटे फूलों की आवश्यकता होती है। ईश्वर ने प्रकृति को वैसा ही बना दिया जैसी हमारी आवश्यकता है। जो व्यक्ति मौन रहता है, जो दूसरों को सुनता है, जो सीखना चाहता है वह संसार में सबसे सीख सकता है ?जितना हम दूसरों को सुनेंगे, उतना ही हमारा ज्ञान बढ़ेगा। विद्यार्थी इस देश का भविष्य हैं, वे अनंत गुणों से युक्त हैं। टॉपर बनने के लिए समय पर काम करना आवश्यक है जिस समय सोना है सोए ,जिस समय खाने का समय है उसी समय खाएं। ऐसे कार्यक्रम को विद्यालय में कराए जाने का उद्देश्य बच्चों में पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें संस्कारवान भी बनाना होता है।
इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन आचार्य श्री सुरेंद्र प्रताप सिंह , श्रीमती नीपा चौहान , श्रीमती कल्पना तिवारी ,श्रीमती हिमाली सिंह,श्रीमती सुनीता टंडन, सुश्री उदय लक्ष्मी सिंह परमार, श्री साकेत सिंघानिया श्री के. के. नायक, टीचर्स एवं विद्यार्थियों के द्वारा वक्तव्य को सुनने का लाभ उठाया गया।

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