अंतरिक्ष में ही सैटेलाइट भरवा सकेंगे ईंधन! खुलने जा रहा स्पेस गैस स्टेशन, जानें- कौन कर रहा ये कमाल?…
अमेरिकी टेक कंपनी ‘ऑर्बिट फैब’ अंतरिक्ष में गैस स्टेशन स्थापित करने की संकल्पना को साकार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।
कंपनी के कॉन्सेप्ट के मुताबिक पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट में ईंधन भरने की प्रक्रिया को सरल और किफायती बनाना है।
कंपनी का इरादा RAFTI (रैपिड अटैचेबल फ्लुइड ट्रांसफर इंटरफ़ेस) नामक एक मानकीकृत पोर्ट से सैटेलाइट्स में ईंधन भरना है। इसके तहत अंतरिक्ष में ईंधन भरने वाले शटल, ऑर्बिट गैस स्टेशन, या ईंधन भरने वाले टैंकर की स्थापना की जाएगी।
कंपनी के सीईओ डैनियल फैबर ने CNN को बताया कि कंपनी का मिशन कम लागत वाला गैस स्टेशन स्थापित करना है, जो अंतरिक्ष की कक्षा में उपग्रहों में ईंधन भरने के लिए व्यावसायिक रूप से उपलब्ध ईंधन बंदरगाहों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगा।
बता दें कि अभी अंतरिक्ष में ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। फैबर के मुताबिक, उनकी कंपनी अंतरिक्ष में इस कमी को पूरा करने के लिए काम कर रही है।
ऑर्बिट फैब ने अंतरिक्ष की कक्षा में हाइड्राज़िन (सैटेलाइट्स में इस्तेमाल की जाने वाली प्रणोदक या प्रोपेलेंट) की डिलीवरी के लिए 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत निर्धारित की है।
इस तकनीक को प्रमाणित करने के लिए 2018 में कंपनी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में दो टेस्टबेड लॉन्च का सफलता पूर्वक परीक्षण कर चुकी है। इसका मकसद, इंटरफेस, पंप और प्लंबिंग का आकलन करना था। साल 2021 में भी कंपनी ने अंतरिक्ष में ईंधन डिपो के रूप में काम करने वाले टैंकर-001 तेनजिंग लॉन्च किया था। यह वर्तमान हार्डवेयर के परिशोधन की जानकारी देता है।
कंपनी अब 2024 में एयरफोर्स रिसर्च लैब के नेतृत्व में एक मिशन के तहत भूस्थैतिक कक्षा में ईंधन पहुंचाने के लिए तैयार है। कंपनी को दुनियाभर में तारीफें मिल रही हैं। कई अमेरिकी कंपनियां ऑर्बिट फैब की सेवा लेने को तत्पर दिख रही हैं। बहरहाल, ऑर्बिट फैब ने अपना पहला निजी ग्राहक, एस्ट्रोस्केल नामक, एक जापानी उपग्रह सेवा कंपनी के रूप में बनाया है। एस्ट्रोस्केल का LEXI सैटेलाइट अंतरिक्ष में ईंधन भरने के लिए ही डिज़ाइन किया गया है। इसमें RAFTI पोर्ट की सुविधा होगी। इसे 2026 में लॉन्च किया जाएगा।
अमेरिकी सरकार ने ऑर्बिट फैब के साथ कुल 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध की प्रतिबद्धता जताई है। इन समझौतों में स्पेस फोर्स उपग्रहों को ईंधन भरना और कक्षीय डॉकिंग डिपो स्थापित करना शामिल है।
बता दें कि अंतरिक्ष सैटेलाइट मलबों से अटा पड़ा है, जिसमें निष्क्रिय उपग्रह और अंतरिक्ष यान शामिल हैं, जिनका ईंधन ख़त्म हो चुका है। 1950 के दशक से, अब तक करीब 15,000 से अधिक सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं। इनमें आधे से अधिक अभी भी चालू हैं, जबकि शेष, ईंधन खत्म होने के बाद का उपयोग कर चुके हैं और अपने सक्रिय या तो निष्क्रिय हो चुके हैं या जल चुके हैं या अपने जीवनकाल के अंत तक पहुंच चुके हैं।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, इससे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य उपग्रहों के लिए जोखिम पैदा हो गया है, क्योंकि अंतरिक्ष में इन सैटेलाइट्स के ब्रेक-अप, विस्फोट, टकराव, या विखंडन के परिणामस्वरूप होने वाली 640 से अधिक असामान्य घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष मलबे का यह जमावड़ा पृथ्वी के चारों ओर एक वलय बनाता है, जिसमें 10 सेंटीमीटर (3.94 इंच) से बड़ी 36,500 वस्तुएं और 1 सेंटीमीटर (0.39 इंच) आकार तक के 130 मिलियन टुकड़े हैं। अंतरिक्ष में इन मलबों की सफाई जोखिमभरा और कठिन काम है। ऑर्बिट फैब कंपनी इन मलबों को भी साफ करने की दिशा में काम कर रही है।