प्रतिदिन राजधानी, रायपुर । छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। पहले चरण में बस्तर में 19 अप्रैल को मतदान डाले जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने 11 लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है, जबकि कांग्रेस 6 सीटों पर प्रत्याशी का ऐलान किया है। 5 सीटों पर पार्टी में निरंतर मंथन चल रहा है। यह चुनावी चिंतन काफी विस्तार वाला हो रहा है, क्योंकि नाम और उम्मीदवारी की उत्सुकता में कयास लगाए जाने लगे हैं। कौन सी वजह है कि कांग्रेस को 5 सीटों पर काफी मंथन करना पड़ रहा है। चर्चा यह है की जिन प्रत्याशियों को तय करना है उनको लेकर विरोध है, संभवत इसीलिए फाइनल करने में काफी वक्त लग रहा है।
छत्तीसगढ़ की 11 सीट पर दोनों ही दल जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन 11 लोकसभा क्षेत्र में 6 लोकसभा सीट में कांग्रेस जीत नहीं दर्ज कर पाई है। यह 6 जिले भाजपा के अभेदगढ़ बने हुए हैं जिसमें जांजगीर-चंपा, रायपुर, बिलासपुर, कांकेर, रायगढ़ सरगुजा सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह चुनौती है कि इस बार इन 6 जिलों में जीत दर्ज कर भाजपा के गढ़ में सेंध लगा दे, ऐसा कारनामा करने के लिए रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी विकास उपाध्याय काफी मेहनत कर रहे हैं। हर सुबह सुप्रभात के बहाने आम लोगों से मिल रहे हैं प्रचार कर रहे हैं और कांग्रेस की नींव को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं। जनता और विश्वास के सूत्रधार मानते हैं की रायपुर लोकसभा सीट में भारतीय जनता पार्टी को पराजित करना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं है। विकास उपाध्याय रंग गुलाल के साथ यह मैसेज देने में लगे हैं कि इस बार कांग्रेस रायपुर में भाजपा को रंग-गुलाल लगाकर घर को भेद कर जीत दर्ज करेगी।
कहा यह भी जा रहा है कि विकास उपाध्याय का चुनाव लडऩे का अपना पैटर्न है और बृजमोहन अग्रवाल जो भाजपा के प्रत्याशी हैं उनका अपना पैटर्न है। धन बल और संयम सभी से चुनाव लड़ा जा रहा है। इन तीन सूत्र वाक्य में दोनों प्रत्याशी कितना अपने आप को साबित कर पाएंगे यह चिंतन का विषय बना हुआ है। बृजमोहन अग्रवाल शारीरिक तौर पर लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी पर दिखाई पड़ते हैं मगर मानसिक तौर पर कहीं उनका राज्य की राजनीति से अलग होने का भी एक दर्द है, जो चेहरे में दिखलाई पड़ता है। लेकिन पार्टी हाई कमान के आदेशों का पालन करना हर भाजपा के कार्यकर्ता का महत्वपूर्ण काम है। ऐसे में विरोध तो बृजमोहन अग्रवाल नहीं कर पाएंगे स्वीकार्यता दे दी है अब चुनाव जीतना और भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश से 11 का तोहफा देना प्रमुखता हो गया है। प्रदेश के सीएम बस्तर दौरे पर लगातार हैं और पहले चरण में ही जीत के लिए जोर लगाते दिखाई पड़ रहे हैं। कांग्रेस में जो अंदरूनी हलचल है उससे कहीं कांग्रेस ज्यादा परेशान है। सीनियर और जूनियर में तालमेल नहीं है, सभी अपने को सर्वोपरि मानकर बैठे हैं। ऐसे में कांग्रेस का वार रूम जीत की भूमिका किस प्रकार लिखेगा यह शैलेश नितिन त्रिवेदी को तय करना है।