छत्तीसगढ़
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सदन में गूंजा जल जीवन मिशन का मुद्दा,  उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दिया जवाब

रायपुर । भारत सरकार, जल शक्ति मंत्रालय पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 15 अगस्त, 2019 से जल जीवन मिशन प्रारंभ की गई, जिसके अंतर्गत प्रदेश में जल जीवन मिशन से घरेलू कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध जल प्रदाय करने के उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ की गई किन्तु तत्कालीन राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश में जल जीवन मिशन योजना को प्रारंभ करने हेतु जो योजना बनाई गई थी उसमें परिवर्तन के कारण तथा कोविड महामारी के कारण योजना के क्रियान्वयन में 02 वर्षों का विलम्ब हुआ। योजना का क्रियान्वयन वास्तविक रूप से मार्च 2021 में प्रारंभ हुई। इस प्रकार योजना के क्रियान्वयन के लिए भौतिक रूप से राज्य के पास मात्र 03 वर्ष की अवधि की उपलब्धता थी, जिसके कारण योजना के उद्देश्य के अनुरूप निर्धारित समय-सीमा में घरेलू कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल घर-घर तक नहीं पहुंचाया जा सका। तथापि विभाग द्वारा तत्परता से कार्य करते हुए अद्यतन तक प्रदेश के 19656 ग्रामों में 50,03,951 ग्रामीण परिवार में से 39,93,943 ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन प्रदाय किया गया है।

प्रदेश के अनेक जिलों के ग्रामों में पूर्वीसे उपलब्ध जिन नलकूप स्रोतों के आधार पर योजना का रूपांकन किया गया था, कालांतर में विभिन्न कारणों से उनकी जल आवक क्षमता प्रभावित हुई है। अतः ऐसी योजनाओं हेतु सफल नलकूप स्रोत विकसित करने की कार्यवाही लगातार की जा रही है एवं इसमें वांछित सफलता भी प्राप्त हुई है। धमतरी जिले में 289 नलकूपों का खनन कर 193 भू-जल स्रोत निर्मित किये गये। इसके अतिरिक्त जिले धमतरी में 02 समूह जलप्रदाय योजनाओं के माध्यम से 76 ग्रामों में सतही स्त्रोत के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने की योजना क्रियान्वित की जा रही है, जिससे 29,458 ग्रामीण परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके।। जिला धमतरी के कुल 623 ग्रामों में से 258 ग्राम को ग्राम सभा के माध्यम से हर घर जल से प्रमाणित किये जा चुके है एवं शेष 365 ग्रामों में कार्य प्रगतिरत है। जिला सरगुजा के कुल 569 ग्रामों में से 21 ग्राम को ग्राम सभा के माध्यम से हर घर जल प्रमाणित किये जा चुके है एवं शेष 359 ग्रामों में कार्य प्रगतिरत है। शेष 189 ग्रामों में सतही स्त्रोत के माध्यम से 04 समूह जलप्रदाय योजनाओं से 66,777 ग्रामीण परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराये जाने हेतु योजना क्रियान्वित की जा रही है। विगत 01 वर्ष में 489 नलकूपों का खनन कर 417 भू-जल के स्रोत निर्मित किये गये। इसके अतिरिक्त 14 नलकूपों को हाईड्रोफैक्चरिंग कर सफल किया गया।

भू-जल अल्पता एवं गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लिए प्रदेश में 70 समूह जलप्रदाय योजना तैयार कर क्रियात्त्वित की जा रही है, जिनमें 3,195 ग्राम सम्मिलित है, जिनसे 9,75,241 ग्रामीणों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जावेगा।

प्रदेश के 19,656 ग्रामों में से 4,722 ग्रामों में 100 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके है, जिनमें से 2209 ग्राम हर घर जल प्रमाणित है जबकि 01 वर्ष पूर्व हर घर जल प्रमाणित ग्रामों की संख्या मात्र 771 था।

प्रदेश के अनेक ग्रामों के भू-जल स्रोतों से जल आवक क्षमता में कमी होने के कारण नवीन स्वोत निर्माण, किये जाने की कार्यवाही प्रगतिरत है। विगत 01 वर्ष में 3,438 नलकूपों का खनन कर 2,527 भू-जल के स्रोत निर्मित किये गये। इसके अतिरिक्त 735 नलकूपों को हाईड्रोफैक्चरिंग कर सफल किया गया। जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने के कारण विभाग के 06 कार्यपालन अभियंताओं के विरूद्ध निलंबन की कार्यवाही की गई है एवं 04 कार्यपालन अभियंताओं को कारण बताओं सूचना जारी किये गये है। अनुबंधित कार्यों में लापरवाही बरतने के लिए 2.918 ठेकेदारों को नोटिस जारी किये गये। ठेकेदारों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों की जांच उपरांत 72 ठेकेदारों के विरुद्ध ठेका निरस्त करने, ब्लैक लिस्ट करने जैसे कठोर कार्यवाही की गई। इसके अतिरिक्त गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु 2.45 लाख मीटर यू.पी.व्ही.सी. पाईप मानक गुणवत्ता नहीं होने के कारण अस्वीकृत कर ठेकेदारों को वापस किया गया एवं 04 पाईप निर्माताओं को डिबार किया गया। जल जीवन मिशन के अंतर्गत फर्जी दस्तावेज व गलत अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर निविदा प्राप्त करने वाले 26 संस्थाओं को नोटिस जारी करने, ब्लैक लिस्ट करने जैसे कार्यवाही की गई है। सिविल निर्माण कायों के गुणवत्ता खराब होने के कारण 113 टंकी तोड़े गये, 634 नल चबुतरे तोड़े गये, 12 बाउंड्रीवाल पंप हाउस तोड़े गये एवं 9,234 मीटर पाईप लाईन उखाड़कर बदले गये। इस प्रकार विभाग द्वारा निरंतर कार्यवाही करते हुए गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी सुनिश्चित की गई।

योजनाओं की वित्तीय एवं भौतिक प्रगतिकी जानकारी नियमित रूप से भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय की वेवसाईट पर अद्यतन की जाती है, जो आम जनता के लिए उपलब्ध है। सिविल कार्यों की प्रगति के सापेक्ष ही नियमानुसार कार्य एजेंसी को भुगतान की कार्यवाही जिलों द्वारा की जा रही है। ठेकेदार द्वारा किये गये कार्यों का सत्यापन तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेंसी, ग्राम पंचायतों एवं विभागीय अधिकारियों के द्वारा किया जाता है। योजना में लगने वाली सामग्रियों का प्रि-डिलीवरी एवं पोस्ट डिलीवरी निरीक्षण तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेंसी जैसे- सीपेट, एसजीएस, आईआर क्लास इत्यादि के द्वारा किया जाता है। साथ ही निर्माण स्थल में प्राप्त सामग्रियों का मैदानी अभियंताओं द्वारा निरीक्षण किया जाता है। विभागीय प्रयोगशाला में स्थापित् उपकरणों द्वारा भी पाईप की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। कार्यपालन अभियंता, अधीक्षण अभियंता एवं मुख्य अभियंता तथा राज्य स्तरीय निरीक्षण दल द्वारा समय-समय पर कार्यों का निरीक्षण गुणवत्ता नियंत्रण हेतु किया जा रहा है।

प्रदेश के ग्रामों में स्थापित हैंडपंप, स्थल जल एवं नल जल प्रदाय योजनाएं, सिंगल फेस पॉवर पम्प, सोलर ड्यूल पम्प योजनाओं के माध्यम से ग्रामीणों को पेयजल की सतत आपूर्ति की जा रही है तथा शासन द्वारा कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये की गई कार्यवाहियों के कारण जनता में राज्य सरकार के खिलाफ किसी प्रकार का आक्रोश एवं रोष व्याप्त नहीं है।

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