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भारतीय और रूसी नौसेनाओं का द्विपक्षीय अभ्यास इंद्र दो चरणों में हुआ पूरा 

नई दिल्ली । भारतीय और रूसी नौसेनाओं का द्विपक्षीय अभ्यास ‘इंद्र’ बुधवार को खत्म हो गया। दो चरणों में हुआ यह अभ्यास समुद्री सहयोग का प्रतीक बन गया है, जो दोनों देशों की नौसेना की अंतर-संचालन क्षमता और परिचालन तालमेल को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चेन्नई के तट और बंगाल की खाड़ी में दोनों नौसेनाएं जटिल सामरिक युद्धाभ्यास, हवाई तथा सतही लक्ष्यों पर संयुक्त अभ्यास में शामिल हुईं।

वर्ष 2003 में शुरू हुआ भारत और रूस के बीच स्थायी समुद्री साझेदारी ​का प्रतीक यह अभ्यास दोनों नौसेनाओं के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों का प्रतीक है। भारत-रूस द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास इंद्र का 14वां संस्करण 28 मार्च से चेन्नई के तट पर ​शुरू हुआ था। दोनों देशों के जहाजों ने बंदरगाह चरण की शुरुआत की और 30 मार्च तक अभ्यास किया। बंदरगाह चरण में विषय वस्तु विशेषज्ञ आदान-प्रदान, पारस्परिक दौरे, खेल कार्यक्रम और दोनों नौसेनाओं के कर्मियों के बीच प्री-सेल ब्रीफिंग हुई।

इसके बाद बंगाल की खाड़ी में समुद्री चरण 31 मार्च से 02 अप्रैल तक चला। समुद्री चरण में उन्नत नौसैनिक अभ्यास हुए, जिसमें सामरिक युद्धाभ्यास, लाइव हथियार फायरिंग, एंटी-एयर ऑपरेशन, अंडरवे रिप्लेनिशमेंट, हेलीकॉप्टर क्रॉस-डेक लैंडिंग और सी-राइडर्स का आदान-प्रदान शामिल रहा। इस अभ्यास में रूसी नौसेना के जहाज पेचंगा, रेज्की और अलदार त्सिडेंझापोव के साथ-साथ भारतीय नौसेना के जहाज राणा, कुथार और समुद्री गश्ती विमान पी8आई ने हिस्सा लिया।

दो चरणों में हुआ यह अभ्यास समुद्री सहयोग का प्रतीक बन गया है, जो दोनों देशों की नौसेना की अंतर-संचालन क्षमता और परिचालन तालमेल को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन अभ्यासों और बातचीत का उद्देश्य समुद्री सहयोग को बढ़ाना, मैत्री संबंधों को मजबूत करना, सर्वोत्तम परिचालन प्रथाओं का आदान-प्रदान करना तथा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूत करना था।—————————

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