
उत्तराखंड विधानसभा सत्र में हंगामा, सीएम धामी बोले- जनता के मुद्दों पर होनी चाहिए थी बहस
विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ा उत्तराखंड का मानसून सत्र: सीएम धामी ने कहा, जनता के मुद्दों पर चर्चा से भागा विपक्ष
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सत्र का आगाज़ और हंगामे का शोर-उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र, जो कि जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और प्रदेश के विकास की दिशा तय करने के लिए आयोजित किया गया था, वह विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया। सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पंचायत चुनावों में कथित धांधली का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। इस हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा, अंततः दोपहर तीन बजे तक के लिए टाल दिया गया। इस माहौल से क्षुब्ध मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि विधानसभा का उद्देश्य जनता के मुद्दों पर सार्थक चर्चा करना है, न कि केवल हंगामा करके माहौल को खराब करना। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विपक्ष ने जिस तरह से कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर आचरण किया, वह न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।
सरकार की मंशा और विपक्ष की हताशा-मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य सदन में सभी कामकाज सुचारू रूप से चलाना था और प्रदेश की जनता के कल्याण से जुड़े विधेयकों पर चर्चा करना था। उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों में भाजपा को मिली प्रचंड जीत का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता ने हर स्तर पर, चाहे वह पंचायत हो, लोकसभा, विधानसभा या नगर निकाय चुनाव, भाजपा पर अपना भरोसा जताया है। इसी प्रचंड बहुमत और जनता के विश्वास से विपक्ष हताश और निराश है, और इसी हताशा में वे सदन में हंगामा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हताशा साफ तौर पर दिखाई दे रही है और इसी के चलते वे विकास के मुद्दों पर चर्चा से कतरा रहे हैं।
हार के बाद आरोपों की परंपरा: विपक्ष की पुरानी चाल-मुख्यमंत्री धामी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब भी विपक्ष को हार का सामना करना पड़ता है, तो वे तुरंत चुनाव आयोग, प्रशासन, ईवीएम और यहां तक कि सरकार पर भी बेबुनियाद आरोप लगाने लगते हैं। उन्होंने कहा कि यह विपक्ष की एक पुरानी आदत और परंपरा बन चुकी है। जब उन्हें जनता का जनादेश स्वीकार नहीं होता, तो वे इस तरह के आरोप लगाकर जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जनता सब देख रही है और समझ रही है कि विपक्ष असल में विकास और जनहित के मुद्दों पर बात करने से कतरा रहा है।
नैनीताल चुनाव: पारदर्शिता का जीता-जागता प्रमाण-मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए नैनीताल जिले के चुनाव का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि वहां भाजपा का प्रत्याशी अध्यक्ष चुना गया और कांग्रेस का प्रत्याशी उपाध्यक्ष चुना गया। यदि चुनाव निष्पक्ष न होते, तो दोनों ही पदों पर भाजपा का कब्जा होता। यह घटना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भाजपा और उसकी सरकार लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता में गहरा विश्वास रखती है। विपक्ष के आरोप केवल निराधार और हताशा से उपजे हुए हैं, जिनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है।
बहस से कतराता विपक्ष, सरकार चर्चा को तैयार-मुख्यमंत्री धामी ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय जनता पार्टी किसी भी बहस या चर्चा से कभी नहीं डरती। सरकार प्रदेश की जनता से जुड़े हर उस मुद्दे पर खुले मंच पर चर्चा करने के लिए तैयार थी, जिस पर विपक्ष को आपत्ति थी। लेकिन विपक्ष का असली मकसद चर्चा करना या प्रदेश के विकास में योगदान देना नहीं था, बल्कि केवल शोरगुल मचाना, हंगामा करना और मीडिया की सुर्खियां बटोरना था। इसी वजह से विधानसभा का बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ और प्रदेश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा नहीं हो पाई।
विकास पर केंद्रित सरकार, जनता का विश्वास सर्वोपरि-मुख्यमंत्री धामी ने एक बार फिर दोहराया कि भाजपा सरकार का एकमात्र लक्ष्य उत्तराखंड को देश के अग्रणी और सर्वश्रेष्ठ राज्यों की सूची में शामिल करना है। इसके लिए सरकार लगातार विकास के कार्यों में जुटी हुई है और आने वाले समय में जनता को इन विकास कार्यों का और भी बड़ा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जनता का विश्वास ही सरकार की सबसे बड़ी ताकत है और विपक्ष कितना भी शोर मचाए या हंगामा करे, वह इस सच्चाई को नहीं बदल सकता कि जनता हमारे साथ है और हम जनता के लिए काम कर रहे हैं।

