
गर्भाशय कैंसर का नया खुलासा: आपके DNA में छिपे हैं खतरे के नए संकेत!
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!हमारे शरीर के अंदर छिपे दुश्मन: डीएनए में मिले गर्भाशय कैंसर के नए कारण-जर्मनी के हनोवर मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने गर्भाशय के कैंसर को लेकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज की है। उन्होंने पाया है कि कैंसर को बढ़ाने वाले कुछ नए कारण हमारे अपने डीएनए (DNA) में ही मौजूद हैं। ये चीजें गर्भाशय की अंदरूनी परत में छिपी रहती हैं और धीरे-धीरे ट्यूमर बनने की प्रक्रिया को और तेज कर देती हैं। शोधकर्ताओं ने हमारे जीनोम में ऐसी पांच नई जगहों का पता लगाया है जो एंडोमेट्रियल कैंसर, जिसे हम गर्भाशय का कैंसर भी कहते हैं, के बढ़ने में एक बड़ी भूमिका निभाती हैं। सबसे खास बात यह है कि इस नई जानकारी के बाद, कैंसर से जुड़े ऐसे आनुवंशिक कारण जिनकी वजह से इसका खतरा बढ़ता है, उनकी कुल संख्या 16 से बढ़कर 21 हो गई है। इस रिसर्च के नतीजे ‘ई-बायो मेडिसिन’ नाम की एक जानी-मानी पत्रिका में छपे हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि यह जानकारी भविष्य में कैंसर की शुरुआती पहचान करने और उसे रोकने के तरीकों को बेहतर बनाने में बहुत मददगार साबित होगी।
नेविगेटर-3 जीन: कैंसर से लड़ाई का नया हथियार?-इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के अलग-अलग बायोबैंकों से लोगों के जेनेटिक डेटा को इकट्ठा किया। उन्होंने लगभग 17 हजार से ज्यादा उन महिलाओं के जीनोम की तुलना की, जिन्हें गर्भाशय का कैंसर था, और करीब 2 लाख 90 हजार ऐसी स्वस्थ महिलाओं के जीनोम से जिनकी तुलना की गई। नतीजों को और भी पक्का करने के लिए, टीम ने एक और समूह पर भी यह अध्ययन किया। इसी दौरान, उन्हें एक नया जीन मिला जो कैंसर के खतरे से जुड़ा है, और उन्होंने इसे ‘नेविगेटर-3’ नाम दिया है। जब इस जीन को गर्भाशय की कोशिकाओं में काम करने से रोका गया, तो वे कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ने लगीं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ गया। दूसरी ओर, जब इस जीन की सक्रियता बहुत ज्यादा बढ़ गई, तो कोशिकाएं मरने लगीं। इसका सीधा मतलब यह है कि नेविगेटर-3 जीन कोशिकाओं के बीच संतुलन बनाए रखने में एक बहुत अहम भूमिका निभाता है। यह खोज भविष्य में कैंसर के इलाज के नए तरीके खोजने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है।
बचाव और इलाज की नई उम्मीदें: आनुवंशिकी से मिलेगा समाधान?-इस रिसर्च टीम के मुखिया, डॉ. थिलो डार्क-बौसेट का कहना है कि यह रिसर्च हमें उस दिशा में ले जा रही है जहाँ हम आनुवंशिक स्तर पर ही गर्भाशय कैंसर के खतरे का सही-सही अंदाजा लगा पाएंगे। उनका मानना है कि जितने ज्यादा ऐसे जिम्मेदार जीनों का पता चलेगा, उतना ही सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा कि किसी महिला को इस बीमारी का कितना खतरा है। वहीं, डॉ. धान्या रामचंद्रन ने बताया कि नेविगेटर-3 जैसे जीन आमतौर पर कोशिकाओं की बेकाबू बढ़ोतरी को रोकते हैं और कैंसर बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं। इसीलिए इन्हें ‘ट्यूमर सप्रेसर जीन’ यानी कैंसर को दबाने वाले जीन भी कहा जा सकता है। इस शोध से न केवल कैंसर से बचाव की नई योजनाएं बनाई जा सकती हैं, बल्कि आने वाले समय में इसके इलाज के लिए नए तरीके भी विकसित किए जा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज महिलाओं के लिए कैंसर से लड़ने की जंग में एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई है।
लक्षणों को पहचानना है बेहद ज़रूरी: समय पर इलाज ही है बचाव-गर्भाशय का कैंसर, जिसे एंडोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है, महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या है। इस बीमारी का सबसे पहला और बड़ा संकेत है मेनोपॉज (मासिक धर्म का बंद होना) के बाद किसी भी तरह का रक्तस्राव होना। अगर युवा महिलाओं में भी मासिक धर्म के बीच में असामान्य रूप से खून आता है, तो यह भी एक खतरे का संकेत हो सकता है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरह की जांचें करते हैं, जैसे कि श्रोणि (पेल्विक) अल्ट्रासाउंड, बायोप्सी और अन्य टेस्ट। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 4 लाख महिलाओं को यह कैंसर होता है और इनमें से करीब 1 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। ऐसे में, इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। समय पर बीमारी की पहचान करना और उसका सही इलाज करवाना ही इस गंभीर बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।

