
वैष्णो देवी यात्रा में दर्दनाक हादसा: भू-स्खलन और बिजली गिरने से कई परिवारों पर टूटा दुखों का पहाड़
वैष्णो देवी यात्रा: आस्था पर भारी पड़ी कुदरत की मार, कई परिवार बिखर गए- उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की यात्राएं हमेशा से भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र रही हैं। लेकिन इस बार, माता वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी लगाने गए कुछ परिवारों के लिए यह यात्रा जीवन का एक ऐसा दर्दनाक अध्याय बन गई, जिसे वे शायद कभी नहीं भूल पाएंगे। अचानक हुए भू-स्खलन और बिजली गिरने की घटनाओं ने कई परिवारों से उनके अपने छीन लिए, जिससे पूरे इलाके में मातम पसर गया।यह हादसा सिर्फ उन परिवारों के लिए ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए एक गहरा सदमा है, जो आस्था की राह पर निकले थे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मेरठ के वर्मा परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़- मेरठ के मवाना कस्बे से वर्मा परिवार, माता के दर्शन के लिए निकला था। किसे पता था कि उनकी यह आस्था की यात्रा उनकी आखिरी यात्रा साबित होगी। मंगलवार की दोपहर करीब 3 बजे, जब वे यात्रा पर थे, तभी अचानक बिजली गिरने से नीरा वर्मा (35) और उनकी बहन चांदनी की दुखद मृत्यु हो गई। नीरा के पति अमित वर्मा और उनकी 10 साल की बेटी विद्ही इस हादसे में बाल-बाल बच गए, लेकिन वे इस सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। जब नीरा का शव मवाना लाया गया, तो पूरे मोहल्ले में मातम छा गया। लोग रो-रोकर बुरा हाल थे। नीरा एक गृहणी थीं और उनके पति अमित का गहनों का कारोबार है। वहीं, चांदनी का शव उनके पैतृक गांव खेकरा ले जाया गया, जहाँ उनका अंतिम संस्कार हुआ। गांव में हर तरफ सिर्फ गम और मायूसी का माहौल था, हर कोई यही कह रहा था कि भगवान ने ऐसा दुख क्यों दिया।
आगरा के दीपक परिवार की यात्रा बनी दर्दनाक दास्तां-आगरा के कुम्हारपाड़ा इलाके से दीपक कुमार अपने परिवार के साथ वैष्णो देवी दर्शन के लिए गए थे। उनका मकसद अपनी बेटी का मुंडन संस्कार करवाना था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। भू-स्खलन और बिजली गिरने की घटनाओं ने इस परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। इस हादसे में दीपक की मां सुनीता देवी (50), उनकी 11 महीने की मासूम बेटी सेजल और 11 साल की साली भावना की जान चली गई। परिवार के बाकी सदस्य, जैसे दीपक की पत्नी मोना, बड़ी बेटी एंजल, पिता अर्जुन सिंह, बहन जैस्मिन और कुछ अन्य रिश्तेदार घायल तो हुए हैं, पर वे जीवित हैं। घर पर इस समय सिर्फ चीख-पुकार और उदासी का माहौल है। परिवार वाले शवों का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कर सकें। यह घटना हर किसी को झकझोर देने वाली है।
मौत का आंकड़ा बढ़ा, सरकारी मदद का ऐलान- इस भयानक हादसे में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बुधवार तक यह आंकड़ा 32 तक पहुंच गया था। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में हुई इस त्रासदी ने हजारों श्रद्धालुओं को डरा दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश से गए सभी मृतक तीर्थयात्रियों के परिवारों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मृतकों के शव जल्द से जल्द उनके घर तक पहुंचाए जाएं, ताकि परिवार वाले अंतिम संस्कार कर सकें। यह एक मुश्किल घड़ी है और सरकार की तरफ से यह मदद थोड़ी राहत दे सकती है।
आस्था और सुरक्षा: क्या संतुलन जरूरी नहीं?- वैष्णो देवी की यात्रा हमेशा से आस्था और विश्वास का प्रतीक रही है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए यहां आते हैं। लेकिन हाल ही में हुई इन घटनाओं ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है – क्या आस्था की इस यात्रा में सुरक्षा के इंतजामों को और मजबूत करने की जरूरत नहीं है? यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना छोटा है। लेकिन सरकार और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी परिस्थितियों में सुरक्षा मानकों को और कड़ा किया जाए, ताकि यात्रियों की जान पर कोई खतरा न आए। सुरक्षा को प्राथमिकता देना बहुत ज़रूरी है, ताकि आस्था की यात्रा सुरक्षित रहे।

