देश-विदेश
Trending

सुप्रीम कोर्ट का वक्फ कानून पर बड़ा फैसला: जानें 5 अहम बदलाव

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: क्या बदलेगा देश में?-देश में वक्फ कानून को लेकर काफी समय से चर्चा चल रही थी, और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले ने न केवल कानून की दिशा को स्पष्ट किया है, बल्कि इसके लागू होने के तरीके पर भी नई रोशनी डाली है। कोर्ट ने पूरे वक्फ कानून पर रोक लगाने से तो इनकार कर दिया, लेकिन कुछ खास हिस्सों पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह समझना ज़रूरी है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को आम तौर पर सही माना जाता है, इसलिए उस पर पूरी तरह से रोक लगाना कोई आम बात नहीं है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

 पांच साल की शर्त पर रोक: मनमानी पर लगाम-वक्फ कानून में एक ऐसी शर्त थी जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति वक्फ तभी बना सकता था जब उसने कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन किया हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गौर किया कि इस शर्त को लागू करने के लिए राज्यों ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाए थे, जिससे लोगों को परेशानी हो सकती थी और विवाद भी बढ़ सकते थे। इसी वजह से, अदालत ने फिलहाल इस प्रावधान को रोक दिया है। कोर्ट का मानना है कि यह कदम वक्फ बनाने वाले लोगों के अधिकारों और सरकारी नियंत्रण के बीच एक सही संतुलन बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है। यह सुनिश्चित करेगा कि किसी के साथ भी नाइंसाफी न हो और प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा और सीईओ की नियुक्ति: संतुलन का प्रयास-सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या को लेकर भी एक सीमा तय की है। इसके तहत, केंद्रीय वक्फ काउंसिल में चार से ज़्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते, और यही नियम राज्यों पर भी लागू होगा। हालांकि, यह भी साफ किया गया है कि किसी बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गैर-मुस्लिम भी हो सकता है। लेकिन, अदालत ने यह भी कहा कि “जहां तक संभव हो, सीईओ मुस्लिम ही नियुक्त किया जाना चाहिए।” इसका मतलब है कि प्राथमिकता मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को दी जाएगी, लेकिन अगर ज़रूरत पड़े तो अन्य समुदायों के लोगों को भी यह ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है। यह व्यवस्था सभी के हितों का ध्यान रखने की कोशिश करती है।

 विवादित वक्फ ज़मीन पर सुरक्षा: मालिकाना हक का इंतजार-कानून में एक ऐसा प्रावधान भी था जिसके अनुसार सरकार विवादित वक्फ ज़मीन को ‘डीरिकग्नाइज’ यानी उसकी पहचान खत्म कर सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक ज़मीन का मालिकाना हक पूरी तरह से तय नहीं हो जाता, तब तक किसी तीसरे पक्ष को उस पर कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता। किसी अधिकारी की रिपोर्ट से संपत्ति का मालिकाना हक नहीं बदलेगा, जब तक कि हाई कोर्ट या कोई ट्रिब्यूनल इसकी पुष्टि न कर दे। यह फैसला ज़मीनी विवादों को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था के अधिकार का हनन न हो जब तक कि मामला पूरी तरह से स्पष्ट न हो जाए।

 समझने योग्य 5 मुख्य बातें: * पूरे वक्फ कानून पर रोक नहीं लगाई गई है, क्योंकि संसद के बनाए कानून को सामान्यतः वैध माना जाता है।

* पांच साल तक इस्लाम अपनाने की शर्त पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
* गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित कर दी गई है: केंद्रीय वक्फ काउंसिल में अधिकतम 4 और राज्यों में भी इसी तरह।
* विवादित ज़मीन पर सुरक्षा प्रदान की गई है, और तीसरे पक्ष के अधिकारों पर रोक लगाई गई है।
* सीईओ गैर-मुस्लिम भी बन सकते हैं, लेकिन प्राथमिकता मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला वक्फ कानून से जुड़े कानूनी मामलों में एक नया मोड़ लेकर आया है। यह राज्य और केंद्र सरकार दोनों के लिए आगे की राह तय करने में मददगार साबित होगा।

Join Us
Back to top button
12 हजार से भी कम, 8GB रैम और 5G सपोर्ट के साथ 25,000 में ट्रेन से 7 ज्योतिर्लिंग यात्रा, जानें पूरा पैकेज और किराया IRCTC Bharat Gaurav चलेगी 10 पैसे प्रति किलोमीटर e-Luna Prime,सस्ती इलेक्ट्रिक बाइक iPhone से Pixel तक स्मार्टफोन पर बेस्ट डील्स, आज आखिरी मौका