छत्तीसगढ़
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सिंधी समाज भारतवंशी था – भारतवंशी रहेगा : संत युधिष्ठिर लाल

सर्व सिंधी समाज रायपुर की महाबैठक ... जय श्री राम, छत्तीसगढ़ महतारी की जय के नारों की गूंज

जतिन नचरानी

एकजुट हुआ समाज, 72 घंटे में कार्रवाई की मांग

रायपुर ।  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गुरुवार 6 नवंबर की दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक सिंधी समाज की महामंथन बैठक आयोजित हुई, जिसमें समाज के हजारों महिला, पुरुष और युवाओं ने हिस्सा लिया। यह ऐतिहासिक बैठक संत युधिष्ठिर लाल जी, साईं लालदास जी और भाई मुरलीधर उदासी के सानिध्य में सम्पन्न हुई। बैठक का उद्देश्य था, हाल ही में जय जोहार क्रांति सेना के अमित बघेल द्वारा भगवान झूलेलाल को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान पर समाज की सामूहिक प्रतिक्रिया और आगामी दिशा तय करना। समाज के संयुक्त प्रवक्ता दिनेश अठवानी और सुभाष बजाज ने बताया कि संत सानिध्य में सम्पन्न इस महाबैठक का संचालन मुख्य वक्ता अमित चिमनानी और ललित जैसिंघ ने किया।
बैठक में पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी, महेश दरयानी, अमर गिदवानी, सतीश थौरानी, आसुदाराम वाधवानी, अमर पारवानी, किशोर आहूजा, दिनेश अठवानी, राजेश वासवानी, गोविंद वाधवानी, सुभाष बजाज, चेतन तारवानी, आनंद कुकरेजा, पवन प्रीतवानी, अमित जीवन, प्रकाश बजाज,  अजीत कुकरेजा, रवि ग्वालानी,  सुनील कुकरेजा, राजेश गुरनानी, प्रेम प्रकाश मोटवानी, वासु जोतवानी समेत सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे। महिला टीम में भावना कुकरेजा, राधा राजपाल, सपना कुकरेजा, चंचल बजाज, मीनाक्षी शामनानी, माया शामियाना, ज्योति हुंदानी, दीक्षा रामानी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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बैठक के दौरान वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि सिंधी समाज को पाकिस्तानी कहना अत्यंत अपमानजनक और निंदनीय है। इस कथन से सर्व सिंधी समाज रायपुर के साथ-साथ पूरे प्रदेश के समाजजनों की भावनाएं आहत हुई हैं। युवा वर्ग के प्रतिनिधि किशोर आहूजा, सागर दुल्हानी, विक्रम केवलानी, श्याम चावला और गिरीश लहेजा ने मशाल जलाकर आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अमित बघेल का यह कथन न केवल सिंधी समाज बल्कि पूरे हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति पर प्रहार है। इसे सहना धर्म का अपमान होगा। संतों की समझाइश और संयमपूर्ण अपील के बाद समाज ने फिलहाल शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखी, किंतु यह चेतावनी दी कि यदि 72 घंटे के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन की दिशा तय की जाएगी। बैठक में यह सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि जय जोहार क्रांति सेना के अमित बघेल और उसके सहयोगियों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह और अलगाववाद फैलाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।
समाज ने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्ति छत्तीसगढ़ की शांत फिजा को बिगाडऩे, हिंदू समाज को विभाजित करने और राज्य के विकास में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग सदैव प्रेम, भाईचारे और सद्भाव के प्रतीक रहे हैं। सिंधी समाज ने राज्य के विकास में अपना योगदान सदैव दिया है। कुछ लोगों के उकसावे से समाज की एकता को नहीं तोड़ा जा सकता।

शांति और एकता बनाए रखने की अपील

संत राजेश्वर महाराज ने समाज को संबोधित करते हुए कहा कि यह घटना हिंदू समाज को तोडऩे की साजिश है, जो कभी सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम सब एक हैं, और छत्तीसगढ़ की धरती पर कभी नफरत की जगह नहीं होगी। सभा में उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे कानूनी और सामाजिक दोनों स्तरों पर ऐसे बयानों का विरोध जारी रखेंगे और राज्य की एकता को बनाए रखेंगे। इस अवसर पर केवल सिंधी समाज ही नहीं बल्कि अन्य समाजों के प्रतिनिधि भी एकजुटता दिखाने पहुंचे। अग्रवाल समाज से मनमोहन अग्रवाल और सौरभ अग्रवाल, उत्कल समाज से महिला नेत्री सावित्री जगत उपस्थित रहीं। इससे यह स्पष्ट हुआ कि यह आंदोलन केवल सिंधी समाज का नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज की एकता और सम्मान का प्रतीक है।
सभा में समाज के वरिष्ठजन और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिनमें मनूमल मुखी, बलराम आहूजा, शिव ग्वालानी, विकास रूपरेला, अशोक क्षेतिजा, अमर चंदनानी, अनिल लाहोरी, सुदेश मंध्यानी, जीतू बडवानी, सुरेन्द्र जयसरानी, भाई अमरलाल, कुमार बोधवानी, रवि वाधवानी, मोहन होतवानी, विजय लहरवानी, विकी वाधवानी, बंटी गावड़ा, नितिन जसवानी, बलराम मंधानी, जय केसवानी, गोलू चैनानी, राजू चंदनानी, सुनील जेठानी , राजा जेठानी, रिकी जुडानी,  गौतम रेलवानी, जितेन्द्र शादीजा, अविनाश खेतपाल, प्रेम भिरनानी , राजू वासवानी, धानेश मटलानी, रितेश वाधवा, नारायण गिदवानी, दिलीप इसरानी, विक्की लोहाना, निलेश तारवानी, राजू तारवानी, अनूप मसंद ,गौरव मंधानी और  प्रेम प्रकाश मध्यानी शामिल रहे। सभा के समापन अवसर पर अमर गिदवानी और महेश दरयानी ने संयुक्त रूप से संत समाज एवं उपस्थित समाजजनों का आभार व्यक्त किया और साधुवाद दिया। महामंथन बैठक ने यह संदेश दिया कि सिंधी समाज शांतिप्रिय है, परंतु अपमान सहन नहीं करेगा।
बैठक के माध्यम से यह भी तय हुआ कि यदि समयसीमा में प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती, तो समाज आगामी रणनीति तैयार करेगा। युवा वर्ग की ऊर्जा, संत समाज का मार्गदर्शन और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को एकता और सम्मान का प्रतीक बना दिया।

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