Join us?

व्यापार

Business news : वेतन पर टीडीएस फिक्स नहीं, ऐसे कटता है टैक्स

Business news : वेतन पर टीडीएस फिक्स नहीं, ऐसे कटता है टैक्स

कर्मचारियों के वेतन पर हर कंपनी टीडीएस काटती है। हालांकि, टीडीएस की दर निश्चित नहीं होती है। इस कारण नियोक्ता कर्मचारी के वेतन पर टैक्स की औसत दर पर टीडीएस काटता है। कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई में से कटने वाले इस टैक्स का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट-

 

वेतन पर टीडीएस फिक्स नहीं, ऐसे कटता है टैक्स
टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (टीडीएस) की गणना कर्मचारी की अनुमानित शुद्ध कर देनदारी पर निर्भर करती है। इसमें कर्मचारी की ओर से चुनी गई टैक्स व्यवस्था, कर मुक्त आय, खर्चे और कर बचत निवेश पर कटौती जैसे विभिन्न कारकों पर भी विचार किया जाता है। इसके लिए कंपनियां वित्त वर्ष की शुरुआत में कर्मचारियों के खर्चों और निवेश का स्पष्टीकरण कराती हैं, जो कर कटौती या छूट के लिए पात्र होते हैं।

कर्मचारियों की जानकारी के आधार पर कंपनियां वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही तक हर महीने औसत टीडीएस काटती हैं। औसत टीडीएस का मतलब है कि एक बार शुद्ध कर योग्य आय का अनुमान लगने के बाद, कुल टैक्स देनदारी का अनुमान लगाया जाएगा और शुद्ध वेतन से कटौती की जाएगी। फिर कुल कर राशि को 12 महीनों से विभाजित किया जाएगा। जो आंकड़ा आएगा, वह मासिक वेतन से टीडीएस के रूप में कटेगा।

बदल सकती है टीडीएस की दर
टीडीएस कटौती की दर चुनी गई कर व्यवस्था और कर्मचारी की दी हुई जानकारी पर आधारित है, इसलिए कुछ परिस्थितियों में कोई बदलाव होने पर इसमें संशोधन किया जा सकता है। इसमें कर्मचारी की ओर से वर्ष भर में टैक्स बचत निवेश और वित्त वर्ष की शुरुआत में घोषित किए निवेश में अंतर हो तो टीडीएस बदल सकता है।

कर्मचारी को मिले वेतन वृद्धि या बोनस जो कुल मुआवजे का हिस्सा नहीं बन रहा था या कर्मचारी के वेतन ढांचे में संशोधन जैसे कि उसे दिए जाने वाले भत्ते में परिवर्तन या फिर वित्त वर्ष के बीच में कर्मचारी की नौकरी बदल जाने से टीडीएस दर को संशोधित किया जा सकता है। यदि किसी कर्मचारी को कई स्रोतों से आय होती है, तो यह टीडीएस कटौती को प्रभावित कर सकता है। कंपनी को टीडीएस की गणना करते समय आय के सभी स्रोतों को ध्यान में रखना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
बारिश में पौधों का सुरक्षा कवच बन जाएगा 10 रुपये का पाउडर हिल स्टेशन में दार्जिलिंग नाम सबसे आगे भारत के लिए कानून (Law) विश्वविद्यालय