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पंचायत चुनावों पर कांग्रेस का हमला: राज्यपाल से मुलाकात में लगाए गंभीर आरोप

पंचायत चुनावों में धांधली: कांग्रेस ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, सरकार पर बरसे नेता!

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चुनावों में ‘गुंडागर्दी’ और ‘हिंसा’ का बोलबाला, कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल-हाल ही में देहरादून में कांग्रेस के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात का मुख्य एजेंडा राज्य में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर हुई धांधली, हिंसा और अनियमितताओं को उजागर करना था। कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा कि जिस तरह से चुनावों में ‘गुंडागर्दी’, अपहरण और गोलीबारी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बेहद चिंताजनक और खतरनाक संकेत है। उन्होंने प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और इसे सीधे तौर पर भाजपा सरकार की विफलता करार दिया। कांग्रेस का आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया में जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ किया गया है और चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की गई है।

सात महीने की देरी और आरक्षण की धज्जियां: क्या है सत्ता का खेल?-कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया कि राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों को जानबूझकर सात महीने की देरी से करवाया। यह देरी अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। इतना ही नहीं, जब चुनाव संपन्न हुए तो आरक्षण के नियमों और प्रावधानों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। कई जगहों पर मनमाने ढंग से आरक्षण लागू किया गया, जिससे सीटों के आवंटन में भारी असंतुलन पैदा हुआ और आम जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है। कांग्रेस का स्पष्ट आरोप है कि यह सब सत्ता पक्ष के इशारे पर और उनके दबाव में किया गया, ताकि चुनावी समीकरणों को अपने पक्ष में मोड़ा जा सके और मनचाहे परिणाम हासिल किए जा सकें।

नैनीताल और रुद्रप्रयाग में ‘खूनी’ चुनावी खेल, प्रशासन ‘मूकदर्शक’-कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से नैनीताल, बेतालघाट और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में हुई घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में चुनावी प्रक्रिया के दौरान खुलेआम अपहरण और फायरिंग जैसी गंभीर वारदातें हुईं। चिंता की बात यह है कि इन सब घटनाओं के बावजूद प्रशासन पूरी तरह से मूकदर्शक बना रहा और किसी भी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि अगर चुनावी माहौल में इस तरह की हिंसा और भय का राज होगा, तो भला हमारे लोकतंत्र का भविष्य क्या होगा? इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को बनाए रखने और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त की बर्खास्तगी की मांग, क्या सरकार मानेगी?-कांग्रेस पार्टी ने राज्यपाल से सीधे तौर पर मांग की है कि पंचायत चुनावों में हुई इन तमाम गड़बड़ियों और अनियमितताओं के लिए राज्य निर्वाचन आयुक्त को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। विपक्ष का आरोप है कि आयुक्त ने न केवल नियमों और कानूनों को ताक पर रखा, बल्कि सत्ता पक्ष के दबाव में आकर ऐसे फैसले लिए जो निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के बिल्कुल विपरीत थे। इसलिए, कांग्रेस ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और सरकार को इस पूरे मामले में कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

बड़े नेताओं की मौजूदगी ने बढ़ाई मामले की गंभीरता-इस महत्वपूर्ण मुलाकात में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल हुए, जिससे इस मुद्दे की गंभीरता और भी बढ़ गई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा, विधायक क़ाज़ी निजामुद्दीन, ममता राकेश, विक्रम सिंह, फुरकान अहमद, रवि बहादुर, अनुपमा रावत और वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना जैसे प्रमुख नेताओं की उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि कांग्रेस इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है। कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि पूरा विपक्ष जनता की आवाज़ को दबाने नहीं देगा और न्याय की इस लड़ाई को अंतिम अंजाम तक ले जाएगा।

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