धमतरी । तीज पर्व को छत्तीसगढ़ में काफी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ी परम्परा में तीज पर्व का विशेष महत्व है। शादी के पश्चात तीज उपवास रखने बेटियां अपनो मायके आती है। यह परम्परा आज भी पूरे उत्साह पूर्वक निभाई जाती है। इसलिए तीज पर्व के पहले बेटियों का मायके आना शुरु हो गया है। ऐसे में यात्री बसों में भीड़ बढ़ गई है।
बता दें कि धमतरी से रायपुर, जगदलपुर, सम्पूर्ण बस्तर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, दुर्ग, भिलाई, बालोद, राजनांदगांव, नगरी, सिहावा, गरियाबंद आदि रुटो पर बसे चलती है। जिले से रोजाना लगभग 250 से 300 बसें गुजरती है। इनमें हजारों यात्री सफर करते है। लेकिन वर्तमान में तीज पर्व के कारण बसों में सामान्य दिनों की तुलना में भीड़ ज्यादा है। कल और परसो भीड़ और ज्यादा रहेगी। महिलाओं को बसो में सीट आसानी से नहीं मिल रही है। विशेषकर छोटे-बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को भीड़ के चलते परेशानी हो रही है। बता दे कि तीज पर्व के पूर्व कड़ु भात खाने की परम्परा है। इसलिए गुरुवार को महिलाएं कड़ुभात खाकर उपवास रखेंगी। 24 घंटे की निर्जला उपवास करने के बाद अगली सुबह को फलाहार किया जाता है। तीजा पर्व महिलायें अपनी पति की दीर्घायु और मंगल के लिए करती है।
बाजार में बढ़ी रौनक
तीज के पहले ही बाजार में रौनक बढ़ जाती है। सबसे ज्यादा कपड़ा मनिहारी, सराफा, किराना दुकानों में ग्राहकी होती है। इसलिए तीज पर्व को देखते हुए दुकानदारों द्वारा पहले से तैयारी की गई है। तीज पर्व पर बहन बेटियों को वस्त्र दान करने की परम्परा है। इसलिए सबसे ज्यादा भीड़ कपड़ा दुकानों में रहेगी। अभी से इन दुकानों में भीड़ नजर आ रही है। बता दे कि तीज पर्व के साथ ही गणेशोत्सव की भी शुरुवात होती है।
बसों में महिला आरक्षण का नहीं मिलता लाभ
बता दे कि बसो में सफर के दौरान महिलाओं के लिए अलग से सीट निर्धारित करने का प्रावधान है। पहले यात्री बसो में महिला सीट का अलग उल्लेख भी होता था लेकिन बीते कुछ सालो में बसो में स्पष्ट उल्लेख करना भी बंद हो गया है। ऐसे में अब बसो में महिला सीट का लाभ महिलाओं को नहीं मिलता। पहले आओ पहलो पाओ की तर्ज पर बसो में सीट मिलती है, यदि संबधित विभाग द्वारा इस ओर ध्यान दे तो महिलाओं को सफर के दौरान सीट के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। =