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छत्तीसगढ़

उप मुख्यमंत्री साव ने जन शिकायत पखवाड़े में हुए शामिल

उप मुख्यमंत्री साव ने जन शिकायत पखवाड़े में हुए शामिल

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नगरीय निकाय के चल रहे जन शिकायत पखवाड़े में हिस्सा लिया और पखवाड़े में नागरिकों से चर्चा कर पखवाड़े का निरीक्षण किया। उपमुख्यमंत्री ने हरेली त्योहार के अवसर पर गेड़ी नंगर की पूजा की और उद्यान में इस अवसर पर जन मानस की खुशहाली हेतु पवित्र हरिशंकारी का पौधा रोपित किया। हरिशंकरीय के पौधे कीहरिशंकरी का अर्थ होता है भगवान विष्णु और शंकर की छायावली होता है. मत्स्य पुराण में भी हरिशंकरी से जुड़ी कथा का उल्लेख है. पुराण के अनुसार पार्वती जी के श्राप से भगवान विष्णु पीपल, भगवान शिव बरगद और ब्रह्मा पलाश वृक्ष बन गए. इसीलिए पीपल, बरगद व पाकड़ के सम्मिलित रोपण को ‘हरिशंकरी’ कहते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार पाकड़ को वनस्पति जगत का नायक कहा जाता है. वैदिक अनुष्ठान व हवन आदि में इसकी ख़ास अहमियत होती है.

एक तने के रूप में नजर आते हैं तीन वृक्ष
हरिशंकरी वृक्ष तैयार करना एक अत्यंत पुण्य व परोपकारी काम माना जाता है. हरिशंकरी के तीनों पौधों अर्थात पीपल, बरगद और पाकड़ को एक ही स्थान पर इस तरह रोपते हैं कि तीनों वृक्षों का संयुक्त छत्र विकसित हों. इससे तीनों वृक्षों के तने विकसित होने पर एक तने के रूप में नजर आते हैं. वैसे तो हरिशंकरी पौधे देशभर में लगाए जाते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर, मऊ व आसपास के क्षेत्र में विशेष रूप से किया जाता है. हरिशंकरी की छाया में दिव्य औषधीय गुण व पवित्र आध्यात्मिक प्रवाह होता है. इसके नीचे बैठने वाले को पवित्रता, आरोग्य और ऊर्जा मिलती है.

बच्चों को बताएं हरिशंकरी का महत्व
पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता के नजरिए से पीपल, बरगद व पाकड़ सर्वश्रेष्ठ प्रजातियां मानी जाती हैं. इसे सड़क किनारे, धर्म स्थलों, सामुदायिक भवनों और गौठान आदि के आसपास लगाना चाहिए. अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत इसके पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व के बारे में अधिक से अधिक लोगों को बताना चाहिए. भविष्य में यह विरासत बची रहे इसके लिए हमें बच्चों को खासतौर पर इसकी अहमियत के बारे में जानकारी देनी होगी.

जीव-जंतुओं के लिए भी उपयोगी
हरिशंकरी के तीनों वृक्षों पीपल, बदगद व पाकड़ का अत्यन्त ही महत्व है. हरिशंकरी में तमाम पशु-पक्षियों व जीव-जन्तुओं को आश्रय व खाने को फल मिलते हैं. इस प्रकार हरिशंकरी के रोपण से इन जीव-जन्तुओं का आशीर्वाद मिलता है, इस पुण्यफल की बराबरी कोई भी दान नहीं कर सकता. यह हमेशा हरा भरा रहने वाला वृक्ष है. शीत ऋतु के अंत में थोड़े समय के लिए पतझड़ में रहता है. इसका छत्र काफी विस्तृत और घना होता है. इसकी शाखायें जमीन के समानान्तर काफी नीचे तक आ जाती हैं. इसके नीचे घनी शीतल छाया का आनन्द बहुत ही अच्छी अनुभूति देता है.इसकी शाखाओं या तने पर जटा मूल चिपकी या लटकी रहती है. इसके फल मई-जून तक पकते हैं और वृक्ष पर काफी समय तक बने रहते हैं. अरुण साव ने इस पखवाड़े को निकाय की कार्यों में गति लाने वाला बताया।

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