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DRDO ने किया हाइपरसॉनिक मिसाइल का सफल परीक्षण

नई दिल्ली । डीआरडीओ ने 16 नवंबर 2024 को ओडिशा के तट से दूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से अपनी लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान का परीक्षण किया है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल को भारतीय सशस्त्र बलों की सभी सेवाओं के लिए 1500 किमी से अधिक दूरी तक विभिन्न पेलोड ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिसाइल को विभिन्न डोमेन में तैनात विभिन्न रेंज प्रणालियों द्वारा ट्रैक किया गया था। डाउन रेंज जहाज स्टेशनों से प्राप्त उड़ान डेटा ने सफल टर्मिनल युद्धाभ्यास और उच्च सटीकता के साथ प्रभाव की पुष्टि की।

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक पोस्ट में कहा कि अब भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने इस बेहद अहम तकनीक को विकसित किया है। राजनाथ ने इस कामयाबी के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योगों को बधाई दी और इसे आश्चर्यजनक सफलता करार दिया। इस हाइपरसॉनिक मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्पलेक्स लैबोरेट्री, डीआरडीओ और उद्योग से जुड़े अन्य साझेदारों के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इसे 1500 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक अलग-अलग पेलोड से हमला करने के लिए बनाया गया है। इसे सभी सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिहाज से तैयार किया गया है।

बताया गया है कि मिसाइल के परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिक और सशस्त्र बल के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। अलग-अलग रेंज सिस्टम से इसे ट्रैक किया गया। इसके बाद मिसाइल की उड़ान को लेकर जो आंकड़े सामने आए, उससे इसके प्रभाव और अचूक निशाने की बात तय हो गई।

क्या हैं हाइपरसोनिक मिसाइल?

हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज की रफ्तार (1235 किमी प्रतिघंटा) से कम से कम पांच गुना तेजी से उड़ान भर सकती है। यानी इसकी न्यूनतम रफ्तार 6174 किमी प्रतिघंटा होती है। हाइपरसोनिक मिसाइल क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लेस होती हैं। यह मिसाइल लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से बाहर चली जाती है। इसके बाद यह जमान या हवा में मौजूद टारगेट को अपना निशाना बनाती है। इन्हें रोकना काफी मुश्किल होता है। साथ ही तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इन्हें पकड़ नहीं पाते हैं।

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