देहरादून । पहाड़ी और वनाच्छादित राज्य उत्तराखंड के जंगलों को गर्मी के दिनों में आग से बचाने के लिए धामी सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। वनाग्नि रोकने के लिए विभाग एक बार फिर मोबाइल एप को ढाल बनाएगा। वर्ष 2020—22 में इस मोबाइल एप का सफल संचालन हुआ था और केंद्र सरकार ने इसे सराहा था। अब एक बार फिर इसे लॉन्च करने की तैयारी है।
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गत वर्षों के वनाग्नि प्रबंधन के अनुभवों के आधार पर राज्य में वनाग्नि सूचना प्रबंधन प्रणाली को आईटी आधुनिकीकरण कर डिजिटल किया जाएगा। फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप एवं डैशबोर्ड के माध्यम से रियल टाइम बेसिस पर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा। इससे वनाग्नि की रोकथाम में लगने वाले रिस्पांस टाइम में अत्यधिक कमी आएगी।
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उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन ने राज्य स्तर पर फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप एवं डैशबोर्ड निर्माण की प्रगति परखी है। उन्होंने बताया कि आईटी सिस्टम के माध्यम से उत्तराखंड वन विभाग में 1400 से अधिक क्रू स्टेशन की जीआईएस मैपिंग की गई है।
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आगामी वनाग्नि काल में फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप के माध्यम से पांच हजार से अधिक वन विभाग के फील्ड कमचारियों एवं लगभग पांच हजार वॉलंटियर्स को वन मुख्यालय से जोड़ा जाएगा। इस एप के माध्यम से उत्तराखंड राज्य में कोई भी व्यक्ति अथवा पर्यटक वनाग्नि की सूचना जियो टैग्ड इमेज के माध्यम से सीधे वन मुख्यालय के कंट्रोल रूम को भेज सकता है। इसके माध्यम से कितनी आग की घटनाएं हैं, उसे बुझाने का रिस्पांस टाइम कितना रहा है, समेत अन्य जानकारी मिल जाएगी। इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
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उल्लेखनीय है कि पूर्व में वर्ष 2020 से 2022 तक तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग वैभव कुमार सिंह के निर्देशन में जनपद में इस सिस्टम का सफल संचालन किया जा चुका है। केन्द्र सरकार ने भी राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार 2022 में इसे सराहा है। ऐसे में उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन ने अन्य प्रभागों में फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप के संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं, ताकि आगामी वनाग्नि काल से पूर्व फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप एवं आईटी सिस्टम का सफल संचालन किया जा सके।
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