
भारत ने अपने घरेलू उत्पादकों को असमान्य रूप से कम कीमत पर आयातित चीनी रसायनों से बचाने के लिए इस महीने चार चीनी रसायनों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है। यह कदम देश के बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है।
किन रसायनों पर लगा शुल्क – इन चार रसायनों पर शुल्क लगाए गए हैं PEDA (खरपतवार नाशक में प्रयोग): इस पर 1,305.6 से 2017.9 डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है। Acetonitrile (दवा उद्योग में प्रयोग): चीन, रूस और ताइवान से आयातित Acetonitrile पर 481 डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है। Vitamin-A Palmitate: चीन, यूरोपीय संघ और स्विट्ज़रलैंड से आयातित Vitamin-A Palmitate पर 1,794 रुपये प्रति किलोग्राम तक का शुल्क लगाया गया है। Insoluble Sulphur (टायर उद्योग में प्रयोग): चीन और जापान से आयातित Insoluble Sulphur पर 30,780 रुपये प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है।
क्यों लगाया गया शुल्क – ये शुल्क केंद्र सरकार के राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा लगाए गए हैं। ये शुल्क वाणिज्य मंत्रालय की एक शाखा, निदेशालय जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) की सिफारिशों के बाद लगाए गए हैं। DGTR ने पाया कि सस्ते आयातों के कारण घरेलू उद्योगों को नुकसान हो रहा है।एंटी-डंपिंग जांच यह निर्धारित करने के लिए की जाती है कि क्या सस्ते आयातों में अचानक वृद्धि से घरेलू उद्योगों को नुकसान हुआ है। प्रति-उपाय के रूप में, ये शुल्क जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बहुपक्षीय शासन के तहत लगाए जाते हैं। भारत और चीन दोनों ही इस बहुपक्षीय संगठन के सदस्य हैं।
भारत-चीन व्यापार घाटा – इस शुल्क का उद्देश्य उचित व्यापारिक प्रथाओं को सुनिश्चित करना और घरेलू उत्पादकों और विदेशी उत्पादकों व निर्यातकों के बीच एक समान स्तर का खेल मैदान बनाना है।
भारत चीन से आयात कम करने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के कदम उठा रहा है क्योंकि 2024-25 के दौरान चीन के साथ देश का व्यापार घाटा बढ़कर 8,52,911 करोड़ रुपये (99.2 अरब डॉलर) हो गया है। पिछले वित्त वर्ष में, चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 22,501 करोड़ रुपये (14.25 अरब डॉलर) रह गया, जबकि आयात 11.52 प्रतिशत बढ़कर 9,75,283 करोड़ रुपये (113.45 अरब डॉलर) हो गया।यह शुल्क पांच साल के लिए लगाया गया है और इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करना और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।