
भारत को मिल सकती है बड़ी राहत – ट्रंप का संकेत, रूस से तेल खरीद पर सेकेंडरी टैरिफ से बच सकता है देश
ट्रंप का बड़ा बयान: क्या भारत पर नहीं लगेंगे रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त टैक्स?
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!उम्मीद की किरण: अमेरिका के रुख में नरमी?-अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा संकेत दिया है, जिससे भारत को थोड़ी राहत मिल सकती है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका शायद उन देशों पर अतिरिक्त टैक्स (सेकेंडरी टैरिफ) न लगाए जो अभी भी रूस से कच्चा तेल खरीद रहे हैं। यह खबर भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर यह टैक्स लागू हो जाते, तो भारत भी सीधे तौर पर इसकी चपेट में आ सकता था। फॉक्स न्यूज़ के साथ एक बातचीत में, ट्रंप ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भारत जैसे बड़े तेल खरीदार को खो दिया है, जो पहले रूस से काफी तेल खरीदता था। चीन अभी भी रूस से तेल खरीद रहा है। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर उन्हें अतिरिक्त टैक्स लगाना पड़ा तो वे लगा सकते हैं, लेकिन शायद इसकी आवश्यकता न पड़े।
पुतिन-ट्रंप मुलाकात: उम्मीदें धरी की धरी रह गईं-हाल ही में, राष्ट्रपति ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना था। हालांकि, इस मुलाकात का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया और युद्ध जारी रहा। इस बैठक से पहले, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चेतावनी दी थी कि यदि यह वार्ता असफल रहती है, तो भारत पर रूस से तेल खरीदने के कारण अतिरिक्त टैक्स लगाए जा सकते हैं। ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में, बेसेंट ने कहा था कि वे उम्मीद कर रहे थे कि पुतिन गंभीरता से बातचीत करेंगे, लेकिन हालात अभी भी अनिश्चित बने हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि टैक्स बढ़ाए जा सकते हैं, घटाए जा सकते हैं या फिर लंबे समय तक लागू रह सकते हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
भारत पर पहले से ही है भारी टैक्स का बोझ-यह ध्यान देने योग्य है कि ट्रंप प्रशासन पहले ही भारत पर कई तरह के टैरिफ लगा चुका है, जिनमें से 50% तक का टैरिफ विशेष रूप से दिल्ली द्वारा रूस से तेल खरीदने पर है। यह 25% का टैरिफ 27 अगस्त से लागू होने वाला था। ऐसे में, रूस से तेल खरीदने पर लगने वाले सेकेंडरी टैरिफ की आशंका ने भारत की चिंताएं और बढ़ा दी थीं। लेकिन, ट्रंप के हालिया बयान ने निश्चित रूप से थोड़ी राहत की उम्मीद जगाई है। हालांकि, अभी भी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है और आने वाले दिनों में अमेरिका के अंतिम फैसले पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, क्योंकि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
भारत का दृढ़ रुख: राष्ट्रीय हित सर्वोपरि-अमेरिकी सरकार के इस संभावित कदम पर भारत ने कड़ा और स्पष्ट जवाब दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस रवैये को अनुचित और असंगत बताया है। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर अपनी ऊर्जा खरीद नीति को तय नहीं करेगा। इसके बजाय, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक योजनाओं के अनुसार ही अपने निर्णय लेगा, जो देश के सर्वोत्तम हित में हो।
