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‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ के दम पर भारत बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था – पीएम मोदी

 भारत की विकास गाथा: एक नज़र-यह लेख भारत की आर्थिक प्रगति और विकास यात्रा पर केंद्रित है, जिसे सरल और सहज भाषा में समझाया गया है।

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 तेज़ रफ़्तार विकास की कहानी-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। यह कामयाबी ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ के सिद्धांत पर आधारित है। पिछले 11 सालों में भारत ने आर्थिक रैंकिंग में उल्लेखनीय छलांग लगाई है, 10वें स्थान से ऊपर उठकर अब टॉप 3 में जगह बनाने की दौड़ में है। यह प्रगति, खासकर तब और भी उल्लेखनीय लगती है जब हाल ही में कुछ देशों ने भारत की अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाए थे। मोदी जी का मानना है कि पारदर्शिता और ईमानदारी से किए गए प्रयासों से ही यह सफलता संभव हुई है, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य और भी मज़बूत हुआ है।

 इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व बदलाव-2014 में, भारत का मेट्रो नेटवर्क केवल 5 शहरों तक सीमित था। आज, यह नेटवर्क 24 शहरों में फैला हुआ है और इसकी लंबाई 1000 किलोमीटर से भी ज़्यादा है, जिससे भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बन गया है। रेलवे ने भी अभूतपूर्व प्रगति की है। स्वतंत्रता के बाद से 2014 तक केवल 20,000 किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण हुआ था, जबकि पिछले 11 सालों में यह आंकड़ा बढ़कर 40,000 किमी हो गया है। हवाई अड्डों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है – 74 से बढ़कर 160 से ज़्यादा। इसी तरह, राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 30 हो गई है। ये सभी परिवर्तन न केवल बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं बल्कि व्यापार, पर्यटन और रोज़गार के नए अवसर भी पैदा करते हैं, जिससे देश के विकास को और गति मिलती है।

स्वास्थ्य और शिक्षा में क्रांति-2014 से पहले, भारत में केवल 7 AIIMS और 387 मेडिकल कॉलेज थे। आज, यह संख्या बढ़कर 22 AIIMS और 704 मेडिकल कॉलेज हो गई है। पिछले 11 सालों में मेडिकल कॉलेजों में एक लाख से ज़्यादा नई सीटें जोड़ी गई हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। IIT की संख्या 16 से बढ़कर 23, IIIT की संख्या 9 से बढ़कर 25 और IIM की संख्या 13 से बढ़कर 21 हो गई है। इन सभी परिवर्तनों से छात्रों के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध हुए हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए इस व्यापक विकास से देश के गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों तक बेहतर सुविधाएँ पहुँची हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

 निर्यात और उद्योगों में आत्मनिर्भरता-2014 में, भारत का कुल निर्यात 468 अरब डॉलर था, जो अब बढ़कर 824 अरब डॉलर हो गया है। मोबाइल फोन के क्षेत्र में, भारत पहले एक बड़ा आयातक था, लेकिन आज यह दुनिया के शीर्ष 5 निर्यातकों में शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है – 6 अरब डॉलर से बढ़कर 38 अरब डॉलर। ऑटोमोबाइल निर्यात भी दोगुना होकर 16 अरब डॉलर से बढ़कर 32 अरब डॉलर हो गया है, जिससे भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटो निर्यातक बन गया है। यह प्रगति दर्शाती है कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक प्रमुख निर्माता और वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी बन गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मज़बूती से आगे बढ़ा रहा है।

 तकनीक और अंतरिक्ष में नई ऊँचाइयाँ-भारत अब तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। AI मिशन के ज़रिए, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है। सेमीकंडक्टर मिशन में भी तेज़ी आई है, और जल्द ही भारत में बने चिप्स बाज़ार में उपलब्ध होंगे। अंतरिक्ष मिशनों में, भारत दुनिया के लिए ‘कम लागत में उच्च तकनीक’ का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है। ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के ज़रिए, तकनीक अब देश के दूर-दराज़ के गाँवों तक पहुँच रही है। UPI के ज़रिए, भारत दुनिया में 50% से ज़्यादा रियल-टाइम डिजिटल लेनदेन का हिस्सा है। ‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट’ के मानकों के साथ, कर्नाटक और बेंगलुरु जैसे राज्य भारत के विनिर्माण क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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