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7 सितंबर को घर-घर विराजेंगे भगवान गणेश, जानें गणपति स्थापना का मुहूर्त और विधि के बारे में

रायपुर। छत्तीसगढ़ सहित पूरे देशभर में 7 सितंबर से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है। 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है। अनंत चतुर्दशी तिथि को गणपति विसर्जन कर दिया जाता हैद्ध इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर को होगा। भगवान गणेश जी के भक्त इस त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। सड़कों से लेकर मंदिरों तक गणपत्ति बप्पा के जयकारे गूंजता हैं। इस त्योहार का सबसे अद्भुत नजारा राजधानी रायपुर में देखने को मिलता है।

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 भगवान गणेश को क्यों प्रिय है मोदक?

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश जंगल में ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूया से घर गए थे। यहां पहुंचते ही भगवान शिव और गणेश को भूख लगने लगी, जिसके बाद उन्होंने सभी के लिए भोजन का प्रबंध किया है। खाना खाने के बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की भूख शांत हो गई, लेकिन गणपति बप्पा का पेट कुछ भी खाने से भर ही नहीं रहा था। बप्पा की भूख शांत कराने के लिए अनुसूया ने उन्हें सभी प्रकार के व्यंजन खिलाए, लेकिन उनकी भूख शांत ही नहीं हुई।

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सभी व्यंजनों को खाने के बाद भी जब भगवान गणेश संतुष्ट नहीं हुए, तो अनुसूया ने सोचा कि कुछ मीठा उनका पेट भरने में मदद कर सकता है। बस फिर क्या था अपने इस विचार पर असल करते हुए उन्होंने गणेश जी को मिठाई का एक टुकड़ा दिया और उसे खाते ही गणपति बप्पा को डकार आ गई और उनकी भूख शांत हुई। गणेश जी भूख शांत होते ही भगवान शिव ने भी 21 बार डकार ली और इस तरह दोनों एक साथ संतुष्ट हुए।

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गणेश चतुर्थी का स्थापना मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना का मूहुर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने के लिए आपको करीब 2 घंटे और 31 मिनट का समय मिलने वाला है।

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गणेश चतुर्थी की स्थापना और पूजन विधि

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन सवेरे-सेवेर जल्दी उठकर स्नानादि कर लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर पहले अक्षत रखें और चंदन से एक स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद गणपति जी को स्थापित करें। गणेश जी को स्थापित करते समय ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ. निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥’ मंत्र का पांच बार जाप करें।

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अब गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले फूल, और फल चढ़ाएं। गणपति जी को सिंदूर, दूर्वा, और घी चढ़ाएं। उन्हें 21 मोदक का भोग लगाएं। गणेश जी की आरती करें और मनोकामनाओं के लिए आशीर्वाद मांगें। इसके बाद गणपति को लड्डू का भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।

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गणपति पूजा में न करें ये गलतियां

गणेश जी की मूर्ति को पूर्व या ईशान कोण में रखें। गणेश जी की मूर्ति को दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण में न रखें। गणेश जी की मूर्ति पर तुलसी और शंख से जल न चढ़ाएं। पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें। चमड़े की चीजों का उपयोग वर्जित है।

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